डीएनए हिंदी: 200 सालों के बाद आजाद हुआ भारत अपनी स्वतंत्रता के जश्न के लिए तैयार था. हुक्मरानों का अनुमान था कि लगभग 30 हजार लोग दिल्ली में आयोजित स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे. इतने लंबे समय तक गुलामी की बेड़ियों में जकड़े रहे भारत के लोग इस 30 हजार की सीमा को भूल गए. आजादी की सुबह देखने के लिए देशभर के लोग गांवों से बैलगाड़ी लेकर दिल्ली पहुंच गए. हाल ऐसे हो गए कि दिल्ली की सड़कों पर सिर्फ लोग ही लोग नजर आ रहे थे. इस दौरान दिल्ली में दो लाख से भी ज्यादा लोग आए और देश की आजाद हवा में सांसें ली और पहली बार महसूस किया कि आजादी कुछ यूं होती है.
स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के लिए लॉर्ड माउंटबेटन के सलाहकारों ने अनुमान लगाया था कि लगभग 30 हजार लोग दिल्ली में आएंगे. इंतजाम भी इसी हिसाब से किए गए थे. इंडिया गेट के पास एक मंच लगाया गया था जहां से तिरंगा फहराया जाना था. भीड़ इतनी ज्यादा हो गई थी कि वह मंच ही चारों तरफ से लोगों से घिर गया था. लोगों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी, वीआईपी लोगों के लिए बनाए गए हिस्सों में भी आम लोगों की बाढ़ में डूब गए. शाम के 4 बजे लॉर्ड माउंटबेटन अपने परिवार के साथ इंडिया गेट पहुंचे तो वहां पैर रखने की भी जगह नहीं थी.
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लोगों पर पैर रखते हुई गईं माउंटबेटन की बेटी
लैरी कॉलिंग की किताब फ्रीडम एट मिडनाइट में लिखा गया है कि भीड़ इतनी थी कि मंच तक जाने का रास्ता नहीं था. पंडित नेहरू ने लॉर्ड माउंटबेटन की बेटी पामेला को देखा तो कहा कि लोगों के ऊपर से आ जाओ. इस पर पामेला ने कहा कि उन्होंने हाई हील की सैंडल पहन रखी है. पंडित नेहरू ने उन्हें कहा कि सैंडल हाथ में ले लो और लोगों के ऊपर पैर रखकर आ जाओ कोई कुछ नहीं कहेगा. फिर इसी तरह पामेला मंच पर पहुंचीं.
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उस वक्त दिल्ली की सड़कें भारत के किसानों की पगड़ी, कांग्रेस की टोपी और पारंपरिक परिधानों वाले लोगों से पटी हुई थीं. भीड़ की वजह से माउंटबेटन अपनी कार से ही नहीं निकल पा रहे थे. आखिर में उन्होंने अपनी कार से ही इशारा किया और पंडित नेहरू ने आजाद भारत में तिरंगा फहरा दिया. जैसे-जैसे तिरंगा ऊपर चढ़ा देशवासियों का कलेजा तर होता गया. आंखों में आंसू और दिल में देशप्रेम के साथ 'भारत माता की जय' गूंजी तो माउंटबेटन भी खुद को रोक नहीं पाए और अपनी गाड़ी पर ही खड़े होकर तिरंगे को सलामी दी. कहा जाता है कि इधर तिरंगा चढ़कर लहरा ही रहा था कि आसमान में एक इंद्रधनुष नजर आया.
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