डीएनए हिंदी: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की जयंती को लेकर कांग्रेस ने आज अलग-अलग स्तरों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया था. सुबह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) समेत सोनिया गांधी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी थी तो वहीं दिल्ली में ही एक कार्यक्रम भी आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम के दौरान एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसने राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है. इस एक तस्वीर से राजस्थान (Rajasthan) के सीएम पद पर दावेदारी ठोक रहे सचिन पायलट (Sachin Pilot) और उनके खेमे में खलबली मचा दी है.
दरअसल, सितंबर में जब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनावों के दौरान तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गहलोत को अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव दिया था तो गहलोत ने गांधी परिवार के खिलाफ ही बगावत की थी. यह कहा गया था कि अब सोनिया गांधी के आदेश पर जल्द ही सचिन पायलट को सीएम बनाया जा सकता है और गहलोत को गांधी परिवार से बगावत का नुकसान झेलना पड़ेगा. पायलट गुट में काफी खुशी थी.
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नहीं हुआ है कोई फैसला
कांग्रेस अध्यक्ष बने मल्लिकार्जुन खड़गे को करीब 1 महीना होने को है. जैसे जैसे समय बीत रहा है, वैसे-वैसे पायलट गुट के सब्र का बांध फिर से टूट रहा है. दूसरी ओर भले ही आलाकमान के करीबी नेत लगातार राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की बात कर रहे हो लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी कोई रूपरेखा है ही नहीं.
दूसरी ओर सीएम अशोक गहलोत सचिन पायलट का नाम सुनते ही भड़क जाते हैं औऱ उन्होंने हाल ही में कई मौकों पर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर हमला भी बोला है और अब आज गहलोत की सोनिया गांधी के बगल में बैठे तस्वीर सामने आने के बाद पायलट गुट को बड़ा झटका लगा है.
साथ दिखे सोनिया गहलोत
आज इंदिरा गांधी की जयंती के कार्यक्रम के दौरान अशोक गहलोत और सोनिया गांधी और अशोक गहलोत साथ में बैठे दिखे. इस दौरान उनके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे भी बैठे थे. इस तस्वीर के सामने आने के बाद यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या गहलोत और सोनिया के बीच टकराव और मतभेद खत्म हो गए हैं? यदि इस तस्वीर का मर्म यही निकाला जा रहा है तो यह कांग्रेस नेता सचिन पायलट और उनको सीएम बनाने की मांग करने वाले समर्थकों के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं है.
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क्यों बैकफुट पर है कांग्रेस
सचिन पायलट को महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का समर्थन मिला है जिसके चलते यह संभावना है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है. वहीं कांग्रेस के सामने मुश्किल यह है कि अभी पार्टी की केवल दो राज्यों में ही सरकार है, ऐसे में यदि राजस्थान में कोई टकराव होता है तो पार्टी की फजीहत हो सकती है जिसका पार्टी को अगले चुनावों में नुकसान हो सकता है.
अगले साल के अंत में ही राजस्थान में चुनाव हैं. इन सभी कयासों के चलते ही पार्टी किसी सीधे आंतरिक टकराव से बचकर चल रही है लेकिन यह माना जा रहा है कि अब इस मुद्दे पर सचिन पायलट की तरफ से बड़ा विरोध हो सकता है जो कि पार्टी के लिए चुनौती होगी.
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