डीएनए हिंदी: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बारे में यह बात जग-जाहिर है कि यह पार्टी अपने बागियों को शहीद होने का मौका नहीं देती है. सुब्रमण्यम स्वामी से लेकर वरुण गांधी तक बीजेपी के खिलाफ कितने भी उग्र और आक्रामक बयान क्यों न दे दें, बीजेपी अपने बागियों को बाहर का रास्ता अब तक नहीं दिखाती थी. सांसद रहते थे भी शत्रुघ्न सिन्हा साल 2018 तक बीजेपी के धुर आलोचक बन गए थे. उन्हें भी पार्टी ने बाहर का रास्ता नहीं दिखाया था. हर चुनाव में यही रणनीति बीजेपी सामान्यतौर पर अपनाती रही है.
अब बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल ली है. हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बीजेपी बागियों को बख्शने के मूड में नहीं है. बीजेपी ने साफ इशारा कर दिया है कि आप शहीद हो जाएं लेकिन पार्टी में रहना है तो पार्टी के खिलाफ कुछ नहीं बोलना है.
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बागियों को बख्शने के मूड में नहीं है BJP
भारतीय जनता पार्टी ने 6 बागी नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है. बीजेपी ने इन नेताओं को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता तक से बाहर कर दिया है. ये सभी नेता वही हैं जो 12 नवंबर को होने वाले चुनावों में बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ ही दावेदारी पेश कर रहे थे.
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किन लोगों को दिखाया गया बाहर का रास्ता?
बीजेपी ने सोमवार को अपने राज्य उपाध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद कृपाल परमार, किन्नौर के पूर्व विधायक तेजवंत नेगी, नालगढ़ के पूर्व विधायक केएल ठाकुर, मनोहर धीमान और आनी विधायक किशोरी लाल को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. कुल्लू के दिग्गज नेताओं में शुमार राम सिंह को भी बीजेपी ने बाहर कर दिया है. बीजेपी ने साफ कर दिया है कि अब बागी बख्शे नहीं जाएंगे. चुनाव में जीत सबसे जरूरी है.
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'पार्टी का फैसला मानो या बाहर जाओ!'
जिन नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, उनकी जमीन पर मजबूत पकड़ मानी जा रही है. पार्टी से भीतरी सर्वे से मिले फीडबैक के बाद उन्हें दोबारा टिकट नहीं दिया गया था. इनकी परफॉर्मेंस पर विचार करने के बाद बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था. अब यही नेता जमीन पर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रहे थे. अब बीजेपी ने साफ कर दिया है कि अगर टिकट बंटवारे पर किसी ने भी बगावत करने की कोशिश की तो उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा.
कैसी है हिमाचल में बीजेपी की स्थिति?
हिमाचल प्रदेश में असली लड़ाई कांग्रेस बनाम बीजेपी की है. आम आदमी पार्टी ने पड़ोसी राज्य में पांव भले ही जमा लिए हों लेकिन इस राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के ही पारंपरिक वोटर रहे हैं. AAP के मुफ्त बिजली, पानी और स्वास्थ्य के वायदों की तरफ जनता जाती नजर नहीं आ रही है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसा हाल AAP का हिमाचल प्रदेश में हो सकता है. हालांकि कुछ लोग कह रहे हैं कि AAP की एंट्री से कांग्रेस की जमीन और कमजोर हो सकती है.
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