Job Agent के धोखे ने ली जान, रूसी सेना की तरफ से लड़ते हुए यूक्रेन में मारा गया भारतीय नागरिक

Written By नीलेश मिश्र | Updated: Mar 07, 2024, 08:49 AM IST

मोहम्मद असफान

Russia Ukraine War: रूसी में नौकरी करने गया एक भारतीय नागरिक युद्ध में मारा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, एक जॉब एजेंट ने उसे सेना में क्लर्क की नौकरी के लिए रूस भेजा था लेकिन उसे युद्ध में भेज दिया गया था.

विदेश में नौकरी का ख्वाब दिखाकर हैदराबाद के मोहम्मद असफान के साथ धोखा किया गया. आरोपों के मुताबिक, 30 वर्षीय असफान को एक जॉब एजेंट ने धोखा देकर रूस भेजा था. नौकरी के लिए मोहम्मद असफान को मजबूर करके रूसी सेना में शामिल करवा दिया गया था. अब मोहम्मद असफान की मौत हो गई है. कहा जा रहा है कि यूक्रेन और रूस के युद्ध में असफान रूस की ओर से लड़ाई लड़ रहे थे और युद्ध के दौरान ही मारे गए. उनकी तस्वीरें भी सामने आई हैं जिसमें असफान को रूसी सेना की वर्दी में देखा जा सकता है.

मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास ने बुधवार को हैदराबाद के मोहम्मद असफान की मौत की पुष्टि की लेकिन मौत के कारण का खुलासा नहीं किया. दूतावास ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "हमें एक भारतीय नागरिक मोहम्मद असफान की दुखद मौत के बारे में पता चला है. हम परिवार और रूसी अधिकारियों के संपर्क में हैं. मिशन उनके पार्थिव शरीर को भारत भेजने का प्रयास करेगा."


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असदुद्दीन ओवैसी ने दी थी जानकारी
अफसान की मौत की खबर मिलते ही उनका परिवार सदमे में आ गया. उसके परिवार में पत्‍नी और दो बच्चे हैं- आठ महीने की बेटी और दो साल का बेटा. उसके भाई मोहम्मद इमरान ने कहा कि वे अभी कुछ भी कहने की हालत में नहीं हैं. बाजार घाट इलाके में रहने वाले परिवार को अफसान की मौत की जानकारी हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने दी.

रेडीमेड गारमेंट की दुकान में काम करने वाले अफसान को दुबई स्थित एक जॉब एजेंट ने धोखा दिया था. रूसी सेना में सहायक के रूप में नौकरी का वादा किए जाने के बाद वह और दो अन्य लोग पिछले साल नवंबर में शारजाह के रास्ते मास्को गए थे. शुरुआत में उसे 30,000 रुपये प्रति माह देने का वादा किया गया थ. एजेंट ने उससे यह भी कहा था कि उसे बाद में डेढ़ लाख रुपये मिलेंगे.


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ओवैसी ने PM मोदी से की थी अपील
अफसान से संपर्क न हो पाने के बाद असफान के परिवार को संदेह हुआ. उन्होंने हैदराबाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और बाद में असदुद्दीन ओवैसी से संपर्क किया. AIMIM अध्यक्ष ने 21 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से उन 12 भारतीयों को वापस लाने के लिए कदम उठाने की अपील की, जिन्हें रूसी सेना की तरफ से यूक्रेन से लड़ने के लिए मजबूर किया गया था. उन्होंने कहा कि रूस में इमारतों की सुरक्षा का काम करने गए इन बेरोजगार युवाओं को धोखा दिया गया और उन्हें युद्ध के मोर्चे पर ले जाया गया.

इनमें तेलंगाना के दो, कर्नाटक के तीन, कश्मीर के दो और गुजरात और उत्तर प्रदेश के एक-एक युवा शामिल थे. गुजरात का 23 वर्षीय हामिल मंगुकिया 21 फरवरी को रूस-यूक्रेन सीमा पर डोनेट्स्क क्षेत्र में हवाई हमले में मारा गया था. ओवैसी ने कहा था कि तीन एजेंटों ने बेरोजगार युवाओं को यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए रूस भेजकर धोखा दिया. एजेंटों में से एक फैसल खान दुबई में है, जबकि सुफियान और पूजा मुंबई से हैं. रमेश और मोईन रूस में भारतीय एजेंट हैं.

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