IAS वी के पांडियन ने लिया VRS, क्या ओडिशा में बनेंगे नवीन पटनायक के 'वारिस'?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 24, 2023, 07:02 AM IST

V K Pandian and Navin Patnaik

IAS V K Pandian: नवीन पटनायक के करीबी माने जाने वाले IAS अधिकारी वी के पांडियन ने वीआरएस ले लिया है और अब वह राजनीति में उतर सकते हैं.

डीएनए हिंदी: ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार में IAS अधिकारी वी के पांडियन को काफी शक्तिशाली माना जाता है. विपक्षी पार्टियां आरोप लगाती हैं कि वी के पांडियन सरकार में अधिकारी से ज्यादा बड़ी हैसियत रखते हैं और हस्तक्षेप भी करते हैं. अब IAS से वीआरएस लेने के बाद इस बात की पूरी संभावना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वी के पांडियन सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजेडी) में शामिल हो सकते हैं. वह पिछले 12 सालों से नवीन पटनायक के मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात हैं. गाहे-बगाहे यह भी कहा जाता है कि नवीन पटनायक आने वाले समय में वी के पांडियन को ही अपना वारिस घोषित कर सकते हैं.

बीजेडी के सूत्रों ने बताया कि पांडियन पार्टी में शामिल हो सकते हैं और विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें अहम भूमिका दी जा सकती है. राज्य में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के बेहद करीबी सहयोगी माने जाने वाले पांडियन अक्सर विवादों में रहे हैं. विपक्षी पार्टियों का वी के पांडियन पर आरोप है कि उन्होंने राजनीतिक लाभ पाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया. 

कौन हैं वी के पांडियन?
वी के पांडियन, ओडिशा काडर के 2000 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंने अपने ब्यूरोक्रेटिक करियर की शुरुआत 2002 में कालाहांडी जिले के धर्मगढ़ के सब-कलेक्टर के रूप में की थी. उन्हें 2005 में मयूरभंज का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया था और फिर 2007 में वह गंजम के जिलाधिकारी बने. गंजम में अपनी पोस्टिंग के दौरान ही वह मुख्यमंत्री के करीबी हो गए. नवीन पटनायक भी मूल रूप से गंजम जिले के रहने वाले हैं. वी के पांडियन, साल 2011 में मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में तैनात हुए और तब से वह नवीन पटनायक के निजी सचिव रहे हैं. 

ओडिशा सरकार के प्रशासनिक विभाग को लिखे एक पत्र में केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने कहा कि पांडियन की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित नोटिस अवधि की छूट के साथ स्वीकार कर लिया गया है. आपको बता दें कि नवीन पटनायक के 2019 में पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद पांडियन को सरकारी विभागों में कुछ परिवर्तनकारी योजनाओं को लागू करने के लिए '5टी सचिव' की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई थी. तब वी के पांडियन ने राज्य का तूफानी दौरा किया था और जन शिकायतें सुनने के लिए 190 बैठकें की थीं, जिसके बाद विपक्षी बीजेपी और कांग्रेस ने उनके इस्तीफे की मांग की थी और उन्हें आधिकारिक रूप से बीजू जनता दल (बीजद) में शामिल होने को कहा था. 

क्या CM बन जाएंगे वी के पांडियन?
कांग्रेस सांसद सप्तगिरी उल्का ने कहा कि अगर वी के पांडियन अगले चुनाव से पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्यभार संभाल लेते हैं तो उन्हें जरा भी आश्चर्य नहीं होगा. उन्होंने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'ओडिशा में सत्ता की संरचना ही ऐसी है कि किसी को नहीं पता कि क्या हो रहा है लेकिन हर कोई जानता है कि चीजों को कौन कंट्रोल कर रहा है. छुट्टियों के दौरान तीन दिनों में सेवानिवृति को मंजूरी- बहुत तेज प्रक्रिया.' 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एसएस सलुजा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के पांडियन के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, 'हम उनके फैसले का स्वागत करते हैं. उन्हें यह पहले कर लेना चाहिए था. हम नहीं जानते कि वह राजनीति में आएंगे या अपने राज्य लौट जाएंगे. हालांकि, अगर वह बीजेडी में शामिल होते हैं तो यह विपक्ष के लिए, खासतौर पर कांग्रेस के लिए मददगार साबित होगा.' बीजेपी के चीफ व्हिप मोहन मांझी ने कहा कि वी के पांडियन ने अपनी राजनीतिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए इस्तीफा दिया है. उन्होंने दावा किया कि अब पांडियन अपने चेहरे पर नौकरशाह के नकाब के बिना खुलकर राजनीति कर सकेंगे. उन्हें ओडिशा की जनता स्वीकार नहीं करेगी.

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