Kashmir विवाद सुलझाने के लिए दे रहा था मनमोहन-मुशर्रफ फॉर्मूला, सुप्रीम कोर्ट ने लगा दिया 50 हजार का जुर्माना

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 10, 2022, 11:54 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल मंगाई है. 

Supreme Court Decisions: कश्मीर विवाद को हल करने के लिए मनमोहन-मुशर्रफ फॉर्मूला लागू करवाने की मांग रखने वाले युवक की याचिका खारिज.

डीएनए हिंदी: आईआईटी बॉम्बे के एक छात्र ने कश्मीर विवाद (Kashmir Controversy) सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी दी. प्रभाकर वेंकटेश देशपांडे नाम के इस छात्र ने मांग की थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए गए डॉ. मनमोहन सिंह और जनरल परवेज मुशर्रफ के कथित चार सूत्रीय कार्यक्रम को लागू किया जाए. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया है. 

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि वह आईआईटी-बंबई से स्नातक प्रभाकर वेंकटेश देशपांडे की ओर से दायर याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि इस समस्या का सैन्य समाधान नहीं हो सकता है. देशपांडे ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा तैयार किए गए कथित चार सूत्रीय फॉर्मूले के अमल का समर्थन किया, जिसमें स्वायत्तता, संयुक्त नियंत्रण, विसैन्यीकरण और बगैर बाड़ वाली सीमा की समस्या का हल शामिल है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ये तो प्रचार हित याचिका लगती है
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि इन मसलों पर आगे बातचीत की जा सकती है. इस पर बेंच ने कहा कि अदालत नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है और यह याचिका 'प्रचार हित याचिका' जैसी लगती है. शुरुआत में, बेंच ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के वकील को सूचित कर रही है कि इस तरह की याचिकाओं से अदालत का समय बर्बाद करने के लिए याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाएगी.

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सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने चेतावनी दी, 'बेशक, हम आपकी बात सुनेंगे लेकिन हम आपको नोटिस दे रहे हैं कि हम जुर्माना लगाएंगे.' याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अरूप बनर्जी ने कहा कि देश ने पिछले 70 वर्षों में कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ ढाई युद्ध लड़े हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है. बेंच ने कुछ मिनटों की सुनवाई के बाद कहा कि वह याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है और याचिकाकर्ता पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है.

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