डीएनए हिंदी: 2024 का लोकसभा चुनाव होने में अब सिर्फ 4 महीने का समय बाकी है. नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए विपक्षी गठबंधन INDIA ने मंगलवार को चौथी बार बैठक की. इस बैठक में भी गठबंधन के संयोजक, प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार या फिर सीट शेयरिंग को लेकर फैसला नहीं हो पाया है. दूसरी तरफ, तृणमूल कांग्रेस ने अब डेडलाइन भी दे दी है कि 31 दिसंबर तक सीट शेयरिंग पर फैसला कर लिया जाए. तमाम राज्यों में सीट शेयरिंग ही सबसे बड़ी समस्या है ऐसे में उस पर फैसला न हो पाने से विपक्षी एकता बेमतलब साबित हो सकती है.
मंगलवार को हुई बैठक में ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम संयोजक पद के लिए प्रस्तावित भी किया लेकिन बाकी पार्टियां इससे सहमत नहीं दिखीं और इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया. वहीं, सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस बैठक के बाद तंज कसा कि जब इस गठबंधन को जीतना ही नहीं है तो संयोजक या PM उम्मीदवार के नाम पर फैसला हो या न हो कोई फर्क नहीं पड़ता है.
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बेनतीजा रही यह बैठक?
इस बैठक में 28 दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. लगभग 3 घंटे तक चली इस बैठक के बाद भी भविष्य की कोई ठोस रूपरेखा तय नहीं हो पाई. अभी तक सिर्फ इतना कहा जा रहा है कि 30 जनवरी से साझा रैलियों का आयोजन किया जाएगा. हालांकि, इसका भी कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है. वहीं, EVM और संसद सत्र से विपक्षी सांसदों के निलंबन को लेकर चर्चा जरूर की गई है और यह संभव है कि इसके विरोध में विपक्ष एकसाथ सड़कों पर उतरे.
पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य ऐसे हैं जहां सीट शेयरिंग पर ही बात फंसी हुई है. दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी ज्यादा सीटें मांग रही है जबकि कांग्रेस इतनी सीटें देने के पक्ष में नहीं है. उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव बड़ा रोल चाहते हैं लेकिन इस पर भी कांग्रेस पूरी तरह से सहमत नहीं दिख रही है. बंगाल में टीएमसी और लेफ्ट एक-दूसरे से समझौता करने को ही तैयार नहीं हैं.
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ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर INDIA गठबंधन का भविष्य क्या होगा? सवाल यह भी है कि क्या विपक्ष के नेता राहुल गांधी को नेता स्वीकार नहीं करना चाहते हैं? दूसरी तरफ, आरजेडी और जेडीयू चाहते हैं कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जाए. आरजेडी का हित इसमें यह है कि नीतीश कुमार बिहार से आगे बढ़ेंगे तभी तेजस्वी यादव के लिए बिहार के सीएम की कुर्सी खाली हो पाएगी. शायद यही वजह रही कि मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित किए जाने के बाद नीतीश कुमार और लालू यादव नाराज भी हो गए.
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