INDIA Alliance: नीतीश और ममता के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिया इंडिया अलायंस को झटका, अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान  

स्मिता मुग्धा | Updated:Jan 29, 2024, 09:24 AM IST

Arvind Kejriwal INDIA Alliance 

AAP INDIA Alliance: इंडिया गठबंधन को अब अरविंद केजरीवाल ने भी झटका दे दिया है. विपक्षी एकता पर जोर देने वाले आप संयोजक ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है.

डीएनए हिंदी: रविवार का दिन (28 जनवरी) इंडिया गठबंधन और खास तौर पर कांग्रेस के लिए खासा निराशाजनक दिन रहा है. एक ओर बिहार में नीतीश कुमार ने फिर से एनडीए का दामन थाम लिया, तो दूसरी ओर हरियाणा से भी पार्टी को झटका मिला है. आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार (28 जनवरी) को हरियाणा विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. केजरीवाल ने  कहा कि हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इंडिया गठबंधन पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि गठबंधन लोकसभा चुनाव 2024 के लिए है. हालांकि, बीजेपी को जरूर विपक्षी एकता पर सवाल उठाने का मौका मिल गया है. 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से ऐसे वक्त में यह घोषणा की गई है, जब हर ओर से इंडिया गठबंधन घिरी हुई नजर आ रही है. बंगाल में ममता बनर्जी ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया और उसके कुछ ही दिन बाद नीतीश कुमार भी गठबंधन से अलग हो गए हैं. ऐसे वक्त में विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने का ऐलान करके गठबंधन की एकता पर सवालिया निशान लगा दिया है. विपक्षी एकता की पुरजोर वकालत करने वाले नीतीश और ममता ने ही विपक्षी गठबंधन से खुद को अलग कर लिया है.

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इडिया गठबंधन के लिए लगातार बढ़ती जा रही मुश्किलें
इस वक्त इंडिया गठबंधन के लिए मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सीट शेयरिंग को लेकर संतुष्ट नहीं है. माना जा रहा है कि बात नहीं बनने की स्थिति में उद्धव ठाकरे भी कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. दूसरी ओर एक और बड़ा राज्य पश्चिम बंगाल में भी गठबंधन की गुंजाइश नहीं बची है. बिहार में एनडीए में नीतीश कुमार फिर से शामिल हो गए हैं. अब इंडिया गठबंधन के सामने चुनौती पहले से कहीं ज्यादा है, क्योंकि चुनाव से पहले ही एक-एक कर सहयोगी छोड़कर जा रहे हैं.

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कांग्रेस के लिए सहयोगियों को जोड़े रखना बेहद मुश्किल 
कांग्रेस के लिए सहयोगियों को जोड़े रखना बहुत मुश्किल है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस ने अगर हालिया विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया होता, तो हालात ऐस नहीं होते. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार चली गई. मध्. प्रदेश में दावा किया जा रहा था कि बीजेपी कमजोर है लेकिन पार्टी पहले से मजबूत होकर सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही. ऐसे हालात में कांग्रेस के लिए अपने सहयोगियों को जोड़े रखना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है.

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