डीएनए हिंदी: दो साल पहले लद्दाख-तिब्बत सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीत गलवान घाटी की हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ सीमा विवाद (India-China Dispute) अभी खत्म नहीं हुआ है. दोनों देश में सैन्य से लेकर कूटनीतिक स्तर पर इस मसले को सुलझाने के प्रयास कर रहे हैं लेकिन अब विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने इस मामले में बड़ा बयान दिया है कि भारत और चीन इस मसले को सुलझा रहे हैं लेकिन कोई अन्य देश इस मामले में सलाह न दें.
दरअसल, इस भारत चीन सीमा विवाद को लेकर एस जयशंकर ने कहा, "हम इसका समाधान उन शर्तों पर नहीं करना चाहते जिसमें कोई देश कहे कि यह इसका समाधान और हमें इसे स्वीकार करना है." उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता. सीमा विवाद का हल तभी हो सकता जब यह पारस्परिक सहमति पर आधारित हो और जो हमारे दावे के साथ न्याय करता हो, यह तभी हो सकता है. और हम दोनों इसे अंजाम दे रहे हैं.
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सीमा विवाद की जटिलता बताते हुए एस जयशंकर ने कहा कि यह बहुत जटिल मुद्दा है जिसमें जमीन विवाद भी जुड़ा हुआ है. इसके साथ लोगों की मजबूत भावनाएं जुड़ी हुई हैं. इसके साथ ही इसमें बहुत सारे इतिहास और राजनीति भी जुड़ी हुई हैं. चीन के साथ हमारा सीमा विवाद 1958 से है. 60 साल से हम बातचीत कर रहे हैं."
चीन के साथ बातचीत पर जयशंकर ने कहा कि अब हमें क्या मैनेज करना है, इसके लिए सबसे पहले यह सुनिश्चित हो कि जो वास्तविक सीमा है उसमें छेड़छाड़ न हो लेकिन दुर्भाग्य यह है कि चीन यथास्थिति बहाल रखना नहीं चाहता है. वह एकतरफा कार्रवाई करता रहता है. जाहिर है यह हमें मंजूर नहीं है. और यही कारण है कि हमारी सेना अपनी जमीन की रक्षा में तैनात हैं.
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चीन की नीतियों पर एस जयशंकर ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि दो साल पहले जो हुआ वह आप सब जानते हैं. इसके बावजूद हम समाधान चाहते हैं लेकिन इसके लिए अगर कोई देश यह कहे कि इसका यह समाधान है और हमें इसे स्वीकार करना है, तो यह कतई नहीं होगा. ऐसे में भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वो किसी भी कीमत पर अपनी शर्तों को ताक पर रखकर समाधान नहीं करने वाला है.
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गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच पिछले 2 साल से सीमा विवाद जारी है और दोनों देशों की सेनाएं अभी भी लाइन ऑफ एक्शन यानी एलएसी के पास तैनात हैं. वहीं आर्थिक से लेकर कूटनीतिक तौर पर दोनों देशों के बीच काफी टकराव देखने को मिल रहा है जिससे दक्षिण एशिया में ही तनाव की स्थिति बनी हुई है.
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