LAC पर दिखने लगा समझौते का असर, भारत-चीन के बीच डिसइंगेजमेंट शुरू, हटाए गए टेंट

Written By राजा राम | Updated: Oct 25, 2024, 01:43 PM IST

पिछले कुछ सालों से LAC पर चला आ रहा गतिरोध अब कम होता दिख रहा है. भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में डेमचौक और देपसांग क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी का काम शुरू हो चुका है. यह कदम BRICS सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई चर्चा के बाद उठाया गया है.

भारत और चीन के बीच पिछले चार वर्षों से जारी सीमा विवाद अब सामान्य होती दिख रही है. दोनों देशों के बीच तनाव घटता हुआ नजर आ रहा है. हाल ही में रूस के कजान में हुए BRICS सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत ने इस दिशा में अहम भूमिका निभाई. इस बैठक के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है, जहां दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने लगी हैं.

डेमचौक और देपसांग में सेनाओं की वापसी
पिछले चार दिनों में हुए एक महत्वपूर्ण समझौते के तहत, डेमचौक और देपसांग क्षेत्रों में भारत और चीन की सेनाओं ने अस्थायी ढांचों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. डेमचौक में दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों की निगरानी में डिसइंगेजमेंट का काम हो रहा है. अब तक दोनों ओर से पांच-पांच तंबू हटा लिए गए हैं और यह प्रक्रिया तेज गति से आगे बढ़ रही है. सूत्रों के अनुसार, गुरुवार रात तक आधा काम पूरा हो चुका था और अगले कुछ दिनों में यह प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है. इसके बाद  दोनों देशों द्वारा एक संयुक्त जांच की प्रक्रिया भी की जाएगी, जिसमें जमीन और हवाई सर्वेक्षण शामिल है.

डेमचौक क्षेत्र में भारतीय सेना चार्डिंग नाला के पश्चिमी हिस्से की ओर वापस जा रही है, जबकि चीनी सैनिक नाले के पूर्वी हिस्से की ओर लौट रहे हैं. यहां दोनों देशों ने लगभग 10 से 12 टेम्पररी स्ट्रक्चर बनाए थे, जिन्हें हटाया जा रहा है. वहीं, देपसांग में चीनी सैनिकों ने तंबू का उपयोग नहीं किया था, बल्कि गाड़ियों के बीच तिरपाल के जरिये रहने का जगह बनाया थे. इन ढांचों को भी हटाने का काम शुरू हो चुका है और दोनों देशों ने अपनी सैनिकों को भी कम करना शुरू कर दिया है.

हॉटलाइन के जरिए कमांडरों की बातचीत

डेमचौक और देपसांग में हो रहे इस डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए दोनों देशों के सैन्य कमांडर रोजाना हॉटलाइन के जरिये बातचीत कर रहे हैं. वे दिन में एक-दो बार मिलते हैं ताकि समझौते के अनुसार हुए कामों पर चर्चा की जा सके और किसी भी तरह की बाधा को दूर किया जा सके. हालांकि, गलवान घाटी और अन्य बफर जोन में गश्त शुरू करने पर अभी कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है.

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कूटनीतिक और सैन्य प्रयासों का परिणाम

दरअसल, 21 अक्टूबर को भारतीय विदेश मंत्रालय ने घोषणा की थी कि भारत और चीन के बीच कई दौर की बातचीत के बाद एक सफल समझौता हो चुका है, जिसके तहत विवादित क्षेत्रों में गश्त बहाल की जाएगी. इस समझौते को BRICS सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत से और मजबूती मिली. दोनों नेताओं ने सीमा पर शांति बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई और यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि तनाव को बढ़ने से रोका जाए.

लद्दाख में लंबे समय से जारी था गतिरोध
पूर्वी लद्दाख में 2020 से जारी सैन्य गतिरोध के बाद यह समझौता एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बना हुआ था. कई बार सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के बावजूद समाधान तक पहुंचने में कठिनाई हुई थी.

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