Ukraine War: रूस-यूक्रेन में भीषण जंग जारी, नरेंद्र मोदी के पास आया पुतिन का फोन, अमेरिका ने कही ये बात

| Updated: Dec 17, 2022, 09:41 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन. (तस्वीर- Twitter/PIB)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में भी SCO समिट के दौरान कहा था कि आज का युग युद्ध का युग नहीं है. शांतिपूर्ण तरीके से समाधान सोचना चाहिए.

डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने टेलीफोन पर बात की. उन्होंने एक बार फिर व्लादिमीर से दुहराया कि यूक्रेन संकट हल करने के लिए बातचीत और कूटनीति एकमात्र रास्ता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस को यह सलाह तब दी है जब भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश में स्थितियां सामान्य नहीं हैं. भारतीय सेना भले ही सीमा पर मुस्तैदी के साथ डंटी है लेकिन भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह बातचीत के लिए जरिए विवाद सुलझाने के लिए तैयार है. अब पुतिन और पीएम मोदी के बीच हुई बातचीत पर अमेरिका का भी रिएक्शन सामने आया है.

संयुक्त राज्य अमेरिका ने शुक्रवार को एक बार फिर यूक्रेन संघर्ष पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों का स्वागत किया. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों का स्वागत करते हैं. हम युद्ध को खत्म करने के लिए सहयोगियों के साथ कॉर्डिनेशन जारी रखेंगे. वेदांत पटेल ने ये टिप्पणी रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थिति और युद्ध को समाप्त करने के लिए पीएम मोदी की अपील पर पूछे गए एक सवाल के दौरान की.

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पुतिन-मोदी के बीच क्या हुई बातचीत?

व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच ऊर्जा, व्यापार और रक्षा के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर बातचीत हुई है. रूस के एक बयान में कहा गया है कि पुतिन ने मोदी के अनुरोध पर यूक्रेन को लेकर रूस के रुख का बुनियादी आकलन पेश किया. प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को जी-20 की भारत की मौजूदा अध्यक्षता के बारे में जानकारी दी और इसकी प्रमुख प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला. 

इस साल में कितनी बार पीएम मोदी और पुतिन ने की बात?

यह इस साल दोनों नेताओं के बीच पांचवीं टेलीफोन वार्ता थी. दोनों नेताओं ने 24 फरवरी, 2 मार्च, 7 मार्च और 1 जुलाई को फोन पर बातचीत की. नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन ने गत 16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में एक द्विपक्षीय बैठक की थी, जिस दौरान प्रधानमंत्री ने उनसे कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं है और उन्होंने रूसी नेता को संघर्ष को समाप्त करने के लिए प्रेरित किया था. 

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पीएमओ ने कहा, 'दोनों नेताओं ने एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर समरकंद में अपनी बैठक के बाद द्विपक्षीय संबंधों के कई पहलुओं की समीक्षा की, जिसमें ऊर्जा सहयोग, व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा सहयोग और अन्य प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं.'

प्रधानमंत्री कार्यलाय के मुताबिक, 'यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में, प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन के साथ बातचीत के दौरान अपनी इस बात को दोहराया कि वार्ता और कूटनीति ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.'

क्यों बेहद अहम है पीएम मोदी और पुतिन की बात?

दोनों नेताओं के बीच फोन पर यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब कुछ ही दिन पहले यह बात सामने आई थी कि मोदी इस साल वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा नहीं करेंगे. पुतिन पिछले साल सम्मेलन के लिए भारत आये थे. एक अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को जी-20 में भारत की मौजूदा अध्यक्षता के बारे में जानकारी दी और इसकी प्रमुख प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की भारत की अध्यक्षता के दौरान दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद भी जताई.

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पीएमओ ने कहा कि दोनों नेताओं ने एकदूसरे के साथ नियमित संपर्क में रहने पर सहमति जताई. रूस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने परस्पर निवेश, ऊर्जा, कृषि, परिवहन एवं साजो सामान जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की. 

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क्या अब यूक्रेन पर अपना रुख बदलेगा रूस?

दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर बातचीत ऐसे दिन हुई जिस दिन रूसी सेना ने पूरे यूक्रेन में कम से कम 60 मिसाइल दागी, जिससे कीव सहित कम से कम चार शहरों में विस्फोट होने की जानकारी मिली है. पश्चिमी देशों में बढ़ती बेचैनी के बावजूद भारत रूस से कच्चे तेल की खरीद में तेजी ला रहा है. भारत ने अभी तक यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की आलोचना नहीं की है और वह बातचीत के माध्यम से संघर्ष को हल करने के लिए दबाव डाल रहा है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने रूस का दौरा किया था, जिस दौरान दोनों पक्षों ने अपने आर्थिक संबंध का विस्तार करने का संकल्प जताया था जिसमें नयी दिल्ली द्वारा अपने पुराने सहयोगी देश से पेट्रोलियम उत्पादों के आयात भी शामिल है. (भाषा इनपुट के साथ)

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