डीएनए हिंदी: अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद सीमा पर स्थितियां तनावपूर्ण हैं. झड़प में चीनी सैनिकों बड़ी संख्या में घायल हुए हैं. बौखलाया चीन जहां अपनी सैन्य तैयारियों को दुरुस्त करने में जुटा है, वहीं भारत अब रणनीतिक रूप से अहम एक रूटीन सैन्य अभ्यास करने जा रहा है. सीमाई इलाकों में भारतीय वायुसेना के विमान, ड्रोन और हवाई हथियार गरजने वाले हैं. चीन पर इस युद्ध अभ्यास का दबाव पड़ना तय है.
भारतीय वायुसेना 15 और 16 दिसंबर को देश के पूर्वी सेक्टर में अहम सैन्य अभ्यास करने वाली है. युद्ध अभ्यास में देश के फाइटर जेट, ट्रांसपोर्ट विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन मंडराने वाले हैं. आसमान में भारत का शौर्य दुनिया को साफ नजर आने वाला है. तवांग विवाद के बाद भारत का यह एक महत्वपूर्ण फैसला है. भले ही यह रूटीन एक्सरसाइज है लेकिन इसका रणनीतिक असर चीन पर पड़ना तय है.
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वायुसेना के युद्ध अभ्यास में असम के तेजपुर, चबुआ, जोरहाट और पश्चिम बंगाल का हासीमारा एयर बेस एक्टिव होगा. हासीमारा एयर बेस में राफेल लड़ाकू विमानों तैनात हैं. भारतीय वायुसेना अपने युद्ध अभ्यास से यह साबित करने वाले हैं कि भारत अपनी सीामओं की हिफाजत करना जानता है.
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क्या तवांग क्लैश से कोई है संबंध?
9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास झड़प हुई थी. दोनों तरफ के सैनिक इस झड़प में घायल हुए थे. भारतीय वायुसेना ने साफ किया है कि इस झड़प से वायुसेना के अभ्यास का कोई लेना-देना नहीं है. यह एक रूटीन अभ्यास है. इसकी योजना पहले ही बनाई गई थी. भले ही यह नियमित अभ्यास है लेकिन चीन इस अभ्यास का मतलब जानता है कि भारत सीमा पर हुए किसी भी हमले को सहने वाला नहीं है.
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