संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की राह में चीन ने रोड़े अटकाना बंद नहीं किया है. बीजिंग अपनी चालाकियों से कभी बाज नहीं आता और भारत को परेशान करने का मौका नहीं छोड़ता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता को टालने पर भारत ने भी चीन पर जुबानी हमले पहले से तेज कर दिए हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर से लेकर संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत रुचिरा कंबोज ने वर्तमान स्थायी सदस्यों को जमकर सुनाया है. चीन का नाम लिए बिना ही विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध कोई पश्चिमी देश नहीं कर रहा है.
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के लिए घटाया बजट
भारत ने संयुक्त राष्ट्र को भी एक आर्थिक चोट दी है. भारत ने 1 फरवरी को घोषित किए गए अंतरिम बजट में संयुक्त राष्ट्र को दी जाने वाली मदद को आधा कर दिया है. पिछले साल 382 करोड़ रुपये की मदद की थी, वहीं इस साल इसे घटाकर 175 करोड़ रुपये कर दिया है. इसे चीन की चालाकियों के जवाब में भारत के सख्त कदम के तौर पर देखा जा रहा है.
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China है UNSC में भारत की राह का रोड़ा
कूटनीतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि नई दिल्ली का यह कदम दबाव बढ़ाने के एक तरीके के तौर पर देखा जा सकता है. भारत स्थायी सदस्यता का मजबूत दावेदार है, लेकिन चीन अपने वीटो का इस्तेमाल कर राह मुश्किल बनाता रहा है. फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देश भी भारत के समर्थन में हैं. यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य हैं - अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस और फ्रांस और 10 गैर-स्थायी सदस्य हैं.
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बजट कटौती भारत की ओर से प्रतीकात्मक संकेत
विश्लेषकों का कहना है कि भारत की ओर से दो करोड़ डॉलर की बजट में कटौती को एक प्रतीकात्मक कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए. इससे यूएन के संचालन में कोई बड़ी परेशानी नहीं आएगी. संयुक्त राष्ट्र के संचालन का बजट 3.4 बिलियन डॉलर है. हालांकि, भारत ने बजट कटौती कर UNSC की दिशा में प्रगति नहीं होने की वजह से भारत की चिंता को दिखाने के लिए काफी है.
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