डीएनए हिंदीः अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने इतिहास रच दिया है. देश का पहला निजी रॉकेट विक्रम-एस (Vikram-S) श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया. इस मिशन के बाद इसरो (ISRO) अंतरिक्ष में अधिक से अधिक सैटेलाइट भेज सकेगा. इस रॉकेट को प्राइवेट कंपनी स्काईरूट के रॉकेट (Skyroot Aerospace) ने तैयार किया है. इस मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया. इस मिशन के सफल होने के बाद प्राइवेट स्पेस रॉकेट लॉन्च के मामले में भारत अग्रणी देशों में शुमार हो गया है.
2018 में शुरू हुई थी कंपनी
बता दें कि स्काईरूट कंपनी को 2018 में शुरू किया गया था. महज 4 साल में ही कंपनी को यह सफलता मिल गई है. कंपनी ने कहा कि इस लॉन्च से भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में पहला निजी रॉकेट निर्माता बनने पर बहुत गर्व महसूस कर रही है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि लगभग 100 स्टार्ट-अप कंपनियों ने पंजीकरण कराया है और वे “अंतरिक्ष क्षेत्र के विभिन्न डोमेन” में इसके साथ मिलकर काम कर रहे हैं. प्रक्षेपण यान में इस्तेमाल होने वाले इंजन का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर ‘कलाम-80’ रखा गया है.
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इस वजह से रखा गया 'विक्रम-एस' नाम
देश के पहले प्राइवेट रॉकेट का नाम 'विक्रम-एस' रखा गया है. इसके पीछे भी एक खास वजह है. कंपनी ने इस रॉकेट को भारत के महान वैज्ञानिक और इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई को समर्पित किया है. विक्रम-एस सब ऑर्बिटल में उड़ान भरेगा. यह एक तरह की टेस्ट फाइल होगी, यदि भारत को इस मिशन में सफलता मिलती है तो उसका नाम प्राइवेट स्पेस के रॉकेट लॉन्चिंग के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में शुमार हो जाएगा. यह रॉकेट लॉन्च होने के बाद अंतरिक्ष में 81 किमी ऊंचाई पर पहुंचेगा. इस मिशन में दो स्वदेशी और तीन विदेशी पेलोड ले जाए गए हैं. इनमें चेन्नई के स्टार्ट-अप स्पेस किड्ज, आंध्र प्रदेश के स्टार्ट-अप एन-स्पेस टेक और आर्मेनियाई स्टार्ट-अप बाजूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब के पेलोड शामिल हैं.
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