भारत और मालदीव (India Maldives Relation) के बीच संबंध इस वक्त बेहद तनावपूर्ण दौर में हैं. मालदीव के चीन परस्त राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) के सत्ता संभालने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में तल्खियों का नया दौर शुरू हो गया है. इस बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के भारत दौरे से दोनों देशों के रिश्ते बेहतर होने की उम्मीद की जा रही है. रणनीतिक दृष्टिकोण से भारत के लिए यह द्वीपीय देश अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से महत्वपूर्ण है.
कई अहम मुद्दों पर बन सकती है दोनों देशों के बीच सहमति
मोहम्मद मुइज्जू के भारत दौरे पर दोनों देशों के बीच कई अहम मुद्दों पर सहमति बन सकती है. मालदीव के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद वह 6 से 10 अक्तूबर तक के लिए भारत दौरे पर आ रहे हैं. इस दौरान मुइज्जू और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी. इसके बाद उनकी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी औपचारिक भेंट होगी. इस दौरे में मुइज्जू देश की कमर्शियल कैपिटल मुंबई और आईटी हब बेंगलुरु का भी दौरा करेंगे. इन दोनों शहरों में वह कुछ बिजनेस इवेंट में हिस्सा लेंगे.
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इंडिया आउट का नारा दे चुके हैं मुइज्जू
मुइज्जू और उनकी पार्टी का भारत विरोध नई बात नहीं है. राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्होंने इंडिया आउट का नारा दिया था. मुइज्जू का झुकाव चीन की तरफ रहा है और उनके सत्ता संभालने के बाद से चीन ने मालदीव में भारी निवेश किया है. बीजिंग रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण इस द्वीपीय देश को बड़ा कर्ज भी दे रहा है. हालांकि, पिछले कुछ महीने में उनके बयानों में नर्मी के संकेत दिखने लगे हैं.
हाल ही में एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी में दिए अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि मैंने कभी भारत विरोधी बयान नहीं दिए थे. उन्होंने भारत को मालदीव का ऐतिहासिक तौर पर अहम साझेदार बताया था. उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच पर्यटन, रक्षा क्षेत्र समेत कुछ अहम मुद्दों पर द्विपक्षीय समझौते हो सकते हैं.
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