प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 15,000 महिलाओं को ट्रेनिंग देने के लिए पिछले साल 15 अगस्त को 'नमो ड्रोन दीदी स्कीम' की घोषणा की थी. उनका कहना था कि गांव-गांव में जब खेती के लिए ड्रोन का इस्तेमाल होगा तो गांव की तस्वीर ही अलग होगी. यह योजना कामकाजी महिलाओं के प्रति भारत का नजरिया भी बदल रही है. इसी की तरह शुरू की गई लखपति दीदी योजना के जरिए भी महिलाओं को ड्रोन उड़ाने जैसे कौशल की ट्रेनिंग दी जा रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को इस तरह का समर्थन और सहयोग मिलने से न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है बल्कि सामाजिक स्तर पर भी उन्हें अलग पहचान मिल रही है.
ड्रोन दीदी योजना का उद्देश्य श्रम लागत को कम करके भारतीय खेती को आधुनिक बनाने में मदद करना है. साथ ही, पुरानी तकनीकियों पर निर्भरता और जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियों से जूझ रहे कृषि क्षेत्र में समय और पानी की बचत करना है. बीते कुछ समय में ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन का इस्तेमाल शुरू भी कर दिया गया है.
ड्रोन (Drone) बदलेगा महिलाओं की तकदीर
सरकार का कहना है कि कृषि प्रधान देश होने के नाते यहां किसानों को ड्रोन की बहुत बड़ी आवश्यकता पड़ने वाली है. अभी तक किसान अपने कंधे पर मशीनें लगाकर खेतों में यूरिया का छिडकाव करते थे. अब नैनो यूरिया यानी लिक्विड यूरिया के छिड़काव के लिए ड्रोन की मांग बढ़ रही है. सरकार का कहना है कि अब ये काम हमारी बहनें करेंगी. 5000 ड्रोन भी दिए जाएंगे और गांव-गांव में महिलाओं की आजीविका बढ़ेगी. इतना ही नहीं, ट्रैफिक व्यवस्था, खनन, अवैध कॉलोनियां के सर्वे करने के लिए विभागों को भी ड्रोन की आवश्यकता है और यह ड्रोन अब महिलाएं चलाएंगी.
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ग्रामीण भारत में एक गृहिणी के रूप में शर्मिला यादव हमेशा एक पायलट बनना चाहती थीं और अब वह दूर से अपने सपने को पूरा करने के लिए हेवी-ड्यूटी ड्रोन का उपयोग कर रही हैं. अब वह खेती में इस्तेमाल होने वाला ड्रोन उड़ा रही हैं. 35 वर्षीय शर्मिला यादव उन सैकड़ों महिलाओं में से हैं, जिन्हें सरकार समर्थित "ड्रोन दीदी" कार्यक्रम के तहत उर्वरक छिड़काव ड्रोन उड़ाने के लिए प्रशिक्षित कर रही है.
क्या कहती हैं महिलाएं?
शर्मिला यादव कहती हैं, "मैं कभी विमान में नहीं बैठी लेकिन अब मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं विमान उड़ा रही हूं.'' शर्मिला यादव 300 प्रशिक्षित महिलाओं के पहले बैच में से हैं. महिलाओं का कहना है कि इस काम के जरिए कामकाजी महिलाओं के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है. जो महिलाएं पहले काम के लिए बाहर जाती थीं, उन्हें बुरी नजर से देखा जाता था. उन्हें अपने मातृत्व संबंधों की उपेक्षा करने के लिए ताना मारा जाता था लेकिन अब मानसिकता धीरे-धीरे बदल रही है.
IFFCO के डायरेक्टर योगेंद्र कुमार का कहना है कि महिलाएं अब दूसरों पर निर्भर हुए बिना अपने घरेलू खर्चों को पूरा करने में सक्षम हैं. वह कहते हैं, "कुछ साल पहले तक किसने सोचा था कि हमारे देश के गांवों में रहने वाली महिलाएं भी ड्रोन उड़ाएंगी लेकिन आज यह पूरी तरह से संभव हो रहा है."
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