डीएनए हिंदी: भारत को अपना पहला नया C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बुधवार को मिलने जा रहा है. भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी इसे लेने के लिए स्पेन में हैं. C-295 स्पेन के सेविले प्लांट में बनाया जा रहा है. वायुसेना में इसका फाइनल इंडक्शन इसी महीने हिंडन एयरबेस पर होगा. 2 साल पहले 56 ऐसे विमानों के लिए 21,935 करोड़ रुपये की टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट के तहत डील हुई थी. यह विमान पूरी तरह से सैनिकों के साथ लंबी दूरी तय करने में सक्षम है. आइए आपको बताते हैं कि C-295 ट्रांसपोर्ट प्लेन की खासियत क्या है और इससे भारतीय सेना पाकिस्तान-चीन पर कैसे भारी पड़ेगी.
जानकारी के अनुसार, भारतीय वायुसेना में ये एवरो एयरक्राफ्ट की जगह लेंगे. वायुसेना के पास 56 एवरो ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट हैं, जो उसने 1960 के दशक में खरीदे थे. इसके लिए मई 2013 में कंपनियों को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) भेजा गया था. मई 2015 में रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने टाटा ग्रुप और एयरबस के C-295 एयरक्राफ्ट के टेंडर को अप्रूव किया था. अब वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी स्पेन पहुंच गए हैं. भारत ने सितंबर 2021 में 56 सी-295 सैन्य परिवहन विमान की आपूर्ति के लिए एयरबस के साथ समझौता किया था.
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क्या है C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की खासियत?
यह विमान 844 मीटर के रनवे से उड़ान भर सकता है जबकि लैंड करने के लिए सिर्फ 420 मीटर लंबे रनवे की जरूरत पड़ती है. वहीं, लैंडिंग के लिए 670 मीटर की लंबाई काफी है. लैंडिंग के लिए 670 मीटर की लंबाई काफी है. जिससे लद्दाख, कश्मीर, असम और सिक्किम जैसे पहाड़ी इलाकों में एयरक्राफ्ट ऑपरेशन के लिए ये मददगार होगा. इसमें दो पायलट, 73 सैनिक या 48 पैराट्रूपर्स या 12 स्ट्रेचर इंटेसिव केयर मेडवैक या 27 स्ट्रेचर मेडवैक के साथ 4 मेडिकल अटेंडेंट ट्रेवल कर सकते हैं. इस विमान में हवा में रिफ्यूलिंग की सुविधा है और यह लगाातर 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है. इसमें पीछे रैम्प डोर है, जो सैनिकों या सामान की तेजी से लोडिंग और ड्रॉपिंग के लिए बना है.
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क्यों इससे पाकिस्तान-चीन पर भारी पड़ेगी भारतीय सेना
C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट मिलने से भारत चीन और पाकिस्तान भारी पड़ेगा क्योकिं यह लद्दाख और कश्मीर जैसे पहाड़ी इलाकों में ऑपरेशन कर सकता है. इसके जरिए भारतीय सेना चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर आसानी से हथियार ले सकती है. कार्गो विमानों की तुलना में इस विमान का टेकऑफ टाइम कम है, ऐसे में सैनिकों की आवाजाही के लिए यह सबसे बेहतर है. एक बार में 71 सैनिकों के ले जाने के साथ ही इस विमान की मदद से उन इलाकों में रसद पहुंचाई जा सकती है, जहां भारी विमान नहीं उतर सकते. युद्ध की स्थिति में यह विमान तेजी एक जगह से दूसरे जगह तक सैनिकों को पहुंचा सकता है. इतना ही नहीं बल्कि राहत और बचाव के साथ ही घायल सैनिकों को निकालने के लिए मुश्किल ऑपरेशन में यह विमान काफी कारगर होगा. भारत इस एयरक्राफ्ट के जरिये मुश्किल ऑपरेशन को आसानी से पूरा किया जा सकता है.
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