Agnipath Program Myths & Facts: क्या सच में असुरक्षित है अग्निवीरों का भविष्य? पढ़िए अग्निपथ योजना से जुड़े तथ्य

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 16, 2022, 07:00 PM IST

अग्निपथ योजना- भ्रम और तथ्य

What is Agnipath Scheme: रोजगार के पहले वर्ष में एक ‘अग्निवीर’ का मासिक वेतन 30,000 रुपये होगा, लेकिन हाथ में केवल 21,000 रुपये ही आएंगे.

डीएनए हिंदी: अग्निपथ योजना को लेकर देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ है. यह योजना देश के लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है. सरकार का कहना है कि योजना को लेकर युवाओं के बीच कई तरह के भ्रम फैलाए जा रहे हैं, जिस वजह से देश के कई हिस्सों में सैन्य बलों में भर्ती को लेकर तैयारी कर रहे कुछ छात्रों का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. प्रदर्शनकारी छात्रों की आशंकाओं को लेकर सरकार का कहना है कि सैन्य बलों में भर्ती होने वाले अग्निवीरों का भविष्य पूरी तरह सुरक्षित रहेगा.

क्या है अग्निपथ योजना?
सरकार ने सैन्य बलों में युवाओं की भर्ती का एक नया कार्यक्रम लांच किया है. अग्निपथ योजना के अनुसार, सैनिकों की भर्ती छोटी अवधि के लिए संविदा पर की जाएगी. सरकार के मुताबिक,  नई योजना देशभक्त और उत्साही युवाओं को सशस्त्र बलों में चार सालों तक काम करने का मौका देगी. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार, अग्निपथ योजना के तहत ‘अग्निवीर’ के रूप में सशस्त्र बलों में काम करने का अवसर मिलेगा. यह योजना देश की सुरक्षा मजबूत करने के लिए है। यह एक परिवर्तनकारी योजना है.

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सशस्त्र बल इस साल 46,000 ‘अग्निवर’ भर्ती करेंगे और चयन के लिए पात्र आयु 17.5 वर्ष से 21 वर्ष के बीच होगी. योजना के तहत भर्ती 90 दिनों के भीतर शुरू होने वाली है. रोजगार के पहले वर्ष में एक ‘अग्निवीर’ का मासिक वेतन 30,000 रुपये होगा, लेकिन हाथ में केवल 21,000 रुपये ही आएंगे. हर महीने 9,000 रुपये सरकार के समान योगदान वाले एक कोष में जाएंगे. इसके बाद दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष में मासिक वेतन 33,000 रुपये, 36,500 रुपये और 40,000 रुपये होगा.

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 प्रत्येक ‘अग्निवीर’ को ‘सेवा निधि पैकेज’ के रूप में 11.71 लाख रुपये की राशि मिलेगी और इस पर आयकर से छूट मिलेगी. ग्रेच्युटी और पेंशन लाभ के लिए कोई अधिकार नहीं होगा और नए रंगरूटों को सशस्त्र बलों में जारी कार्य अवधि के लिए 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी जीवन बीमा कवर प्रदान किया जाएगा. सशस्त्र बलों द्वारा समय-समय पर घोषित की गई संगठनात्मक आवश्यकता और सेना की नीतियों के आधार पर चार साल की सेवा पूरी होने पर ‘अग्निवीर’ को सशस्त्र बलों में स्थायी नामांकन के लिए आवेदन करने का अवसर प्रदान किया जाएगा. इस योजना का मकसद रक्षा विभाग के बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है.

अग्निपथ को लेकर फैले हैं ये भ्रम, सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताए तथ्य

पहला भ्रम- अग्निवीरों का भविष्य असुरक्षित?
तथ्य- जो अग्निवीर उद्यमी बनना चाहते हैं, उनके लिए वित्तीय पैकेज और बैंक से कर्ज की योजना है. जो आगे पढ़ना चाहते हैं, उन्हें 12वीं कक्षा के बराबर सर्टिफिकेट दिया जाएगा और आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिजिंग कोर्स होगा. जो नौकरी करना चाहते हैं, उन्हें CAPF यानी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तथा राज्य पुलिस में भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी. अन्य क्षेत्रों में भी उनके नौकरियों के कई अवसर खोले जा रहे हैं.

दूसरा भ्रम- अग्निपथ के कारण युवाओं के लिए अवसर कम हो जाएंगे?
तथ्य- इसके उलट युवाओं के लिए सेना में नौकरी के अवसरों में बढ़ोतरी होगी. आने वाले वर्षों में सेना में अग्निवीरों की भर्ती मौजूदा स्तर के तीन गुना हो जाएगी. 

तीसरा भ्रम- रेजीमेंट में भाईचारे पर असर पड़ेगा?
तथ्य- रेजीमेंट व्यवस्था में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा रहा है बल्कि, यह और मजबूत होगा क्योंकि सबसे उत्कृष्ट अग्निवीरों का चयन होगा और इससे यूनिट के अंदरूनी तालमेल को और मजबूती ही मिलेगी.

चौथा भ्रम- इससे सेना के तीनों अंगों की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा?
तथ्य- सूत्रों ने बताया कि अधिकांश देशों में इस तरह की कम अवधि वाली सेवाओं की व्यवस्था है यानी इसका पहले ही परीक्षण हो चुका है और युवा तथा तेजतर्रार सेना के लिए सबसे अच्छी व्यवस्था मानी जाती है.पहले वर्ष भर्ती अग्निवीरों की संख्या आर्म्ड फोर्सेज़ की केवल 3 प्रतिशत होगी. इसके अलावा, चार साल बाद सेना में दोबारा भर्ती से पहले अग्निवीरों के प्रदर्शन की जांच की जाएगी. इस तरह, सेना को सुपरवाइजरी रैंक के लिए जांचे और परखे लोग मिलेंगे.

चौथा भ्रम- सेना के लिए 21 वर्ष के युवा परिपक्व और भरोसमंद नहीं हैं?
तथ्य- दुनिया भर में सेनाएं युवाओं पर निर्भर हैं. किसी भी समय अनुभवी लोगों की संख्या में युवा अधिक नहीं होंगे. मौजूदा योजना दीर्घ काल में युवाओं तथा अनुभवियों के 50-50 प्रतिशत का मिश्रण लाएगी.

भ्रम- अग्निवीर समाज के लिए खतरा होंगे और आतंकवादियों से मिल जाएंगे?
तथ्य- यह भारतीय सेना के मूल्यों तथा आदर्शों का अपमान है. चार साल वर्दी पहनने वाले युवा जिंदगी भर देश के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे. आज भी सेना से रिटायर हुए हजारों लोग हैं जिनके पास तमाम कुशलताएं हैं लेकिन वे देश विरोधी ताकतों से नहीं जुड़े.

भ्रम- पूर्व सैन्य अधिकारियों से चर्चा नहीं हुई?
तथ्य- पिछले दो वर्षों से पूर्व सैन्य अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की गई. यह प्रस्ताव मिलिट्री ऑफिसर विभाग में मिलिट्री ऑफिसरों द्वारा तैयार किया गया. यह विभाग सरकार ने ही गठित किया है. कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने इस योजना को स्वीकार किया है तथा सराहा है.

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