डीएनए हिंदी: रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेन में फंसे भारतीय चकित्सक और हड्डी विशेषज्ञ भारत लौट आए थे लेकिन उनका पालतू जैंगुआर और पैंथर वहीं छूट गए थे. अब आंध्र प्रदेस के इस डॉक्टर ने इन पैंथर और जैगुआर को बचाने के लिए मोदी सरकार से मदद की अपील की है.
अपने असामान्य पालतू जानवरों के कारण जगुआर कुमार के रूप में जाने जाने वाले डॉ गिदीकुमार पाटिल कहते हैं कि उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता उनकी "कीमती बिल्लियों" के जीवन को बचाना है. यशा जो कि एक नर दुर्लभ "लेप-जग" जो कि एक हाईब्रिड है.
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डॉक्टर को भारत समय यूक्रेन में इन दोनों को ही यूक्रेन के ही एक स्थानीय किसान के साथ छोड़ने के लिए मजबूर थे. कीव में भारतीय दूतावास मदद करने में असमर्थ था. ऐसे उन्होंने कहा कि भारत सरकार के लिए उनका संदेश है कि उन पालतू जानवरों को बचाने में मोदी सरकार को मदद करनी चाहिए.
पाटिल ने बताया, "मेरा विनम्र संदेश है कि बिल्लियों की सटीक वर्तमान स्थिति और उनकी तत्काल सुरक्षा पर जोर देते हुए सर्वोत्तम संभव समाधान के साथ इस पहेली को ठीक करने के लिए तुरंत विचार करें और तेजी से कार्य करें."
पाटिल सेवेरोडोनेत्स्क के स्वावतोव में अब बमबारी वाले अस्पताल में काम कर रहे थे और इस दौरान ही रूस-यूक्रेन संघर्ष छिड़ गया था. उन्होंने कहा, "मेरी बिल्लियों से दूर रहने की मेरी स्थिति खराब है. कभी-कभी अवसाद, के चलते मुझे उनकी चिंता होती है."
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उन्होंने लगभग दो साल पहले यूक्रेन की राजधानी कीव में एक चिड़ियाघर से अपने दो असामान्य पालतू जानवर प्राप्त किए थे और तब से उनके लिए समर्पित हैं. उनके यूट्यूब पर 62,000 से अधिक सब्सक्राइबर हैं और वे इस पर अपने वीडियो डालते रहते थे जिसमें वे पालतू जानवरों के साथ खेलते दिखते थे.
अपने पालतू जानवरों की सुरक्षा के लिए पाटिल का कहना है कि वह किसी भी मित्र देश की पेशकश के लिए किसी भी समाधान के लिए तैयार हैं चाहे वह पड़ोसी पश्चिमी यूक्रेन में उनके वर्तमान घर के करीब हो या यूरोप या भारत में कहीं भी हो.
उन्होंने कहा, "मुख्य मुद्दा यह है कि क्या मैं उन तक अधिकृत पहुंच जारी रख सकता हूं, जो महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वास्तव में एक गंभीर समस्या है. मुझे भारत में वन्यजीव नियमों और कानूनों के बारे में निश्चित नहीं है, क्या वे इस तरह की चीज़ की अनुमति देते हैं या नहीं." उन्होंने उम्मीद जताई है कि सरकार उनकी बातों पर गौर करेगी.
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आपको बता दें कि रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने यूक्रेन में फंसे भारतीय और भारतीय मूल के नागरिकों को यूक्रेन से वापस लाने का आंदोलन चलाया था जिससे भारतीयों की जान जोखिम में न पड़े. इस दौरान ही डॉक्टर पाटिल भी भारत लौट आए थे लेकिन अपने पालतू जानवरों को वे वहीं छोड़ आए थे.
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