Rice Export: टूटे चावल के निर्यात पर लगा बैन, गैर-बासमती पर एक्सपोर्ट ड्यूटी, जानिए क्या है वजह

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 09, 2022, 06:10 PM IST

टूटे चावल के निर्यात पर लगा बैन

Rice Export Ban: खराब मौसम और कम बारिश के चलते भारत सरकार ने चीनी और गेहूं के बाद अब टूटे चावल के निर्यात पर भी बैन लगाने का फैसला किया है.

डीएनए हिंदी: भारत में इस साल खराब मौसम की वजह से चावल का उत्पादन (Rice Production) बुरी तरह प्रभावित हुआ है. केंद्र सरकार ने खुदरा दाम को काबू में रखने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के इरादे से टूटे चावल के निर्यात (Rice Export) पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके अलावा, गैर-बासमती चावलों के निर्यात पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का फैसला किया है. इससे पहले, भारत सरकार ने कुछ समय के लिए गेहूं और चीनी के निर्यात पर भी बैन लगा दिया था. हालांकि, इसमें आंशिक तौर पर और कुछ शर्तों के हिसाब से छूट भी दी गई थी.
 
मौजूदा खरीफ सत्र में धान की बुवाई के रकबे में कमी आने के कारण इस साल चावल उत्पादन में 1.0-1.2 करोड़ टन की गिरावट आने के अनुमान के बीच यह कदम उठाया गया है. इसके अलावा, सरकार ने निर्यात को कम करने के लिए गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क भी लगा दिया है. हालांकि, उसना चावल को इससे बाहर रखा गया है. केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शुक्रवार को इन फैसलों की जानकारी दी.

यह भी पढ़ें- भारत को हो सकता है अरबों डॉलर का मुनाफा, ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में जल्द कर सकता है एंट्री 

कई कामों में होता है टूटे चावल का इस्तेमाल
उन्होंने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने की वजह बताते हुए कहा कि बहुत बड़े पैमाने पर टूटे चावल की खेप बाहर भेजी जाती रही है. इसके अलावा पशु चारे के लिए भी समुचित मात्रा में टूटा चावल उपलब्ध नहीं है. इसका इस्तेमाल एथनॉल में मिलाने के लिए भी किया जाता है. चीन के बाद चावल उत्पादन में दूसरे स्थान पर मौजूद भारत इस खाद्यान्न के वैश्विक व्यापार में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है. वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था जिसमें से 39.4 लाख टन बासमती किस्म का चावल था.

यह भी पढ़ें- 90 डॉलर से नीचे आया क्रूड ऑयल, जानें पेट्रोल-डीजल हुआ कितना सस्ता 

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की तरफ से गुरुवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक, टूटे हुए चावल के लिए निर्यात नीति को मुक्त से संशोधित कर प्रतिबंधित कर दिया गया है. यह अधिसूचना शुक्रवार से प्रभावी हो गई है. खाद्य सचिव ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 38.9 लाख टन टूटे चावल का निर्यात किया था जो वर्ष 2018-19 के 12.2 लाख टन की तुलना में बहुत अधिक है. चीन ने पिछले वित्त वर्ष में 15.8 लाख टन टूटे चावल का आयात किया था. चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में देश से टूटे हुए चावल का निर्यात 21.3 लाख टन हो गया है जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 15.8 लाख टन रहा था. वहीं, वित्त वर्ष 2018-19 की समान अवधि में यह सिर्फ 51,000 टन था. 

पांच महीने में बढ़ गया टूटे चावल का निर्यात
सुधांशु पांडे ने कहा, 'टूटे चावल के निर्यात में 42 गुना वृद्धि देखी गई है. यह न सिर्फ निर्यात में असामान्य वृद्धि है बल्कि यह काफी ज्यादा असामान्य है.' उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में कुल चावल निर्यात में टूटे चावल का अनुपात बढ़कर 22.78 प्रतिशत हो गया है जो वित्त वर्ष 2019-20 की समान अवधि में सिर्फ 1.34 प्रतिशत पर था.' 

यह भी पढ़ें- रैली के दौरान माइक तोड़कर Himanta Biswa Sarma से भिड़ा शख्स, देखिए हिमंत ने क्या किया

फूड सेक्रेटरी ने कहा कि बीते वित्त वर्ष में बासमती चावल का निर्यात घटकर 39.4 लाख टन रह गया था. हालांकि, चालू वित्त वर्ष में अगस्त तक बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 18.2 लाख टन हो गया है. सरकार की तरफ से टूटे चावल के निर्यात पर रोक और गैर-बासमती चावल पर सीमा-शुल्क लगाने का फैसला असल में इस साल चावल उत्पादन कम रहने की आशंका का नतीजा है. कुछ राज्यों में अच्छी बारिश नहीं होने से धान की बुवाई का रकबा 5.62 प्रतिशत घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है. 

यह भी पढ़ें- Bhopal Airport पर एयरलाइंस कर्मचारी नहीं कर सकी एक जैसे शब्दों में अंतर, मच गई बम को लेकर भगदड़

बारिश कम होने की वजह से घटेगा उत्पादन
इस बारे में खाद्य सचिव ने कहा कि धान के रकबे में कमी आने से इस साल चावल के उत्पादन में एक करोड़ टन से लेकर 1.2 करोड़ टन तक की कमी आ सकती है. इसके बावजूद उन्होंने चावल उत्पादन जरूरतों से अधिक ही रहने का भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि अधिक बारिश वाले राज्यों में बेहतर उपज होने से कम बारिश वाले राज्यों में होने वाले नुकसान की भरपाई हो जाएगी. हालांकि, यह एक शुरुआती अनुमान है जो रकबे में गिरावट और औसत उपज पर आधारित है. देश के कुल चावल उत्पादन में खरीफ सत्र की फसल का योगदान करीब 80 प्रतिशत होता है. फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के दौरान चावल का कुल उत्पादन 13.029 करोड़ टन रिकॉर्ड होने का अनुमान है. यह पिछले पांच वर्षों के 11.64 करोड़ टन के औसत उत्पादन से 1.38 करोड़ टन अधिक है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Rice Export india ban wheat export Broken Rice Rice Production