कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) के जूनियर डॉक्टरों के प्रदर्शन के सामने सीएम ममता बनर्जी को झुकना पड़ा है. अस्पताल में हुए रेप और मर्डर (Kolkata Rape And Murder Case) की घटना के बाद से पुलिस कमिश्नर को हटाए जाने की मांग हो रही थी. मंगलवार को मनोज वर्मा को सीएम ने नया पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया है, वर्मा की गिनती तेज-तर्रार अधिकारियों में होती है और उन्हें नक्सली क्षेत्रों में भी काम करने का अनुभव है. जानें कौन हैं कोलकाता के नए पुलिस कमिश्नर जिन पर सीएम ममता बनर्जी ने जताया है भरोसा.
कभी ममता बनर्जी का इस अधिकारी से था 36 का आंकड़ा
ममता बनर्जी एक वक्त में तेज-तर्रार आईपीएस मनोज वर्मा (IPS Manoj Verma) को सख्त नापसंद करती थीं. साल 2010 में उन्होंने इस अधिकारी को माकपा एजेंट कहा था. उन्होंने तो यहां तक कहा था कि इस अधिकारी को वह सत्ता में आने के बाद माफी मंगवाएंगी. वर्मा को नक्सली क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए जाना जाता है. सत्ता परिवर्तन के साथ ही ममता ने उन्हें वेटिंग में डाल दिया था. हालांकि, कुछ ही दिनों में उनकी कुशलता की मुरीद हो गईं और वापस अहम जिम्मेदारी दी गई थी.
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कोलकाता रेप केस के बाद पश्चिम बंगाल की टीएमसी (TMC) सरकार बैकफुट पर है. ममता बनर्जी पर भारी दबाव है और कोलकाता शहर में शांति-व्यवस्था बहाल करना इस वक्त बड़ी चुनौती है. चारों तरफ से चुनौतियों से घिरी सीएम ममता बनर्जी ने ऐसे वक्त में मनोज वर्मा पर भरोसा जताया है. एक वक्त में जिस अधिकारी को सबसे ज्यादा नापसंद करती थीं, आज उसे ही उन्होंने अहम कमान सौंपी है.
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नक्सिलयों के गढ़ को ध्वस्त करने का जाता है श्रेय
मनोज वर्मा को नक्सली इलाकों में काम करने का अनुभव है. 2008 में उन्होंने मेदिनीपुर इलाके में नक्सलियों के गढ़ को नेस्तनाबूद किया था. बंगाल में जब नक्सली आंदोलन अपने चरम पर था, ऐसे वक्त में मनोज वर्मा ने नक्सल उग्रवाद पर काफी हद तक लगाम लगाई थी. नक्सली इलाके में शांति और कानून-व्यवस्था बहाल करने की वजह से वह प्रदेश के चर्चित अधिकारियों में गिने जाते हैं. जनता के बीच पुलिस का भरोसा फिर से कायम करने के लिए ममता बनर्जी ने मुश्किल वक्त में उन्हें चुना है.
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