Chandrayaan 3 मिशन में दिखी भारत की महिला शक्ति, जानिए क्या है इनका रोल

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 26, 2023, 10:34 AM IST

चंद्रयान 3 मिशन में शामिल महिला वैज्ञानिक

Chandrayaan 3 Mission Update: चंद्रयान-3 मिशन के पीछे देश की महिला शक्ति का योगदान काफी अहम है. लगभग चार दर्जन महिलाओं ने इस मिशन को कामयाब बनाने में अपने दिन-रात एक कर दिए हैं.

डीएनए हिंदी: भारतीय स्पेस रिसर्च संस्थान (ISRO) ने इसी महीने 14 जुलाई को अपना चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया. चांद पर उतरने जा रहे इस मिशन की अब तक की प्रगति बिल्कुल सटीक है और यह सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. रोवर और लैंडर के साथ कई अन्य गैजेट्स लेकर रवाना हुआ यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की धाक जमा रहा है. इस मिशन के पीछे भारत की महिला शक्ति का योगदान बेहद अहम है. कई दर्जन महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने इस मिशन में अहम भूमिका निभाई और हर टीम में अपने रोल को बेहतर तरीके से पूरा किया. यही वजह है कि चंद्रयान-3 मिशन बिल्कुल सही रास्ते पर बढ़ रहा है.

चंद्रयान-3 में लगभग 54 महिलाएं काम कर रही हैं. मिशन डायरेक्टर ऋतु करिधल हों या डायरेक्टर एम वनिता. रिमोट सेंसिंग स्पेशलिस्ट एन वलरमती हों या रॉकेट स्पेशलिस्ट अनुराधा टीके, ये कुछ ऐसे नाम हैं जो यह साबित करती हैं कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में किसी से कम नहीं हैं. आइए इन महिलाओं के बारे में जानते हैं कि वे किस क्षेत्र में काम करते हुए भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में आगे ले जा रही हैं और उनकी क्या भूमिका है.

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ऋतु करिधल
चंद्रयान-3 मिशन की डायरेक्टर हैं. इससे पहले वह मार्स ऑर्बिटर मिशन की डिप्टी ऑपरेशन्स डायरेक्टर थीं. दो बच्चों की मां ऋतु को भारत की 'रॉकेट वुमन' भी कहा जाता है. स्पेस साइंटिस्ट के तौर पर वह कई रिसर्च पेपर भी प्रकाशित कर चुकी हैं.

अनुराधा टीके
साल 2011 में अनुराधा टीके को GSLV-12 का डायरेक्टर बनाया गया था. इस भूमिका में उन्होंने 20 सदस्यों की टीम की अगुवाई की और तकनीकी क्षेत्र में कई सफलताएं भी हासिल कीं. उन्हें प्रतिष्ठित सुमन शर्मा पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

एन वलरमती
वह इंडेजेनस राडार इमेजिंग सैटलाइट (RISAT) मिशन की डायरेक्टर हैं. उनके नाम रिमोट सेंसिंग सैटलाइट मिशन की मुखिया रहने का रिकॉर्ड भी दर्ज है.

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मंगला मणि
56 साल की मंगला मणि साल 2016 में 23 सदस्यों की उस भारतीय रिसर्च टीम का हिस्सा रही हैं जो अंटार्कटिका गई थी. वह इस मिशन की इकलौती महिला थीं और तमाम चुनौतियों के बावजूद उन्होंने अंटार्कटिका में 403 दिन बिताए थे.

मोमिता दत्ता
कोलकाता यूनिवर्सिटी से एक्सपेरीमेंटल फिजिक्स में एम. टेक मोमिता दत्ता ने मंगलयान मिशन में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर काम किया था.

नंदिनी हरिनाथ
ISRO से ही अपने करियर की शुरुआत करने वाली नंदिनी हरिनाथ डिप्टी डायरेक्टर रह चुकी हैं. उन्होंने मंगलयान मिशन में भी अहम भूमिका निभाई थी.

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मीनाक्षी संपूर्णेश्वरी
मीनाक्षी इसरो में सिस्टम इंजीनियर हैं. मंगलयान मिशन की सफलता के बाद उनका नाम सामने आया था. वह इसरो में 500 से ज्यादा वैज्ञानिकों की टीम की अगुवाई करती हैं.

कृर्ति फौजदार
कंप्यूटर साइंटिस्ट कृर्ति फौजदार की भूमिका ISRO में काफी अहम है. सैटलाइट को सही ऑर्बिट में प्लेस करने और सैटलाइट समेत अन्य मिशन पर बारीक नजर रखने में कृर्ति को महारत हासिल है.

टेसी थॉमस
टेसी थॉमस अग्नि 3 और अग्नि 5 मिसाइल को तैयार करने और उसका सफल लॉन्च करने के मिशन में अहम भूमिका निभा चुकी हैं. चंद्रयान-3 मिशन में वह DRDO की तरफ से थीं. भारत के ICBM मिशन में उनका रोल बेहद खास है. इसी वजह से उन्हें भारत की 'अग्नि पुत्री' भी कहा जाता है.

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