ISRO ने की IAD की सफल टेस्टिंग, आसान हो जाएंगे भविष्य में स्पेस मिशन!

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 03, 2022, 11:45 PM IST

इसरो के लिए बेहद खास है IAD तकनीक.

ISRO ने इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर (IAD) की सफल टेस्टिंग थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन पर की है. इसे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने विकसित और डिजाइन किया है.

डीएनए हिंदी: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर (IAD) के साथ एक नई तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है. यह भविष्य में होने वाले कई स्पेस मिशनों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है. इस तकनीक से रॉकेट की स्पीड भी धीमी की जा सकेगी. यानी रॉकेट की स्पीड पर वैज्ञानिक कंट्रोल कर सकेंगे.

इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर को डिजाइन और डेवलेप विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) की ओर से किया गया है.  इसरो ने कहा है कि IAD तकनीक का परीक्षण तिरुवनंतपुरम के थुंबा में साउंडिंग रॉकेट रोहिणी के जरिए किया गया है.

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कैसे हुई IAD की सफल टेस्टिंग?

IAD को शुरुआत में फोल्ड करके रॉकेट के 'पेलोड बे' ( payload bay) के अंदर रखा गया था. लगभग 84 किमी की ऊंचाई पर, आईएडी को खोला गया और यह रॉकेट के पेलोड पार्ट में फूल गया. IAD का यह मूवमेंट लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) की वजह से हुआ. IAD की वजह से पेलोड की वेलोसिटी प्रभावित हो गई और रॉकेट की स्पीड कम हो गई.

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भविष्य में बेहद कारगर साबित होगी यह तकनीक

रोहिणी साउंडिंग रॉकेट्स का इस्तेमाल इसरो अक्सर नई प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ फ्लाइट डिमॉन्ट्रेशन के लिए करता है. इसरो ने अपने प्रयोग में माइक्रो वीडियो इमेजिंग सिस्टम पर जोर दिया है. IAD की ब्लूमिंग और फ्लाइट को पूरी तरह से कैप्टर किया गया है. यह तकनीक भविष्य में इसरो के अलग-अलग मिशन के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है.

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