इसरो का मिशन ग्रह, चांद-सूरज के बाद अब Mangalyaan 2 तैयार, जानें क्या होगी खोज

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 02, 2023, 09:12 AM IST

Mars Mission

Mangalyaan-2: 24 सितंबर 2014 को भारत ने अपने पहले प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर इतिहास रचा था. इस बार फिर मंगलयान-2 के जरिए इसरो कामयाबी का परचम लहराएगा.

डीएनए हिंदी: पृथ्वी के बाहर अन्य गृहों की दुनिया देखने के लिए तमाम देशों में होड़ मची है. इनमें भारत भी शामिल है. चांद और सूरज के बाद अब मंगल ग्रह पर जाने के लिए एक बार फिर इसरो ने तैयारी कर ली है. भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अधिकारियों ने कहा कि भारत मंगल ग्रह पर एक बार फिर अपना यान भेजगा. 9 साल पहले इसरो ने इस लाल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान स्थापित करके इतिहास रचा था. इसरो ने इस मार्स आर्बिटर मिशन-2 को अनौपचारिक रूप से मंगलयान-2 नाम दिया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलयान-2 (Mangalyaan 2) के मिशन को सफल बनाने के लिए वैज्ञानिक विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं. जिसमें अंतरग्रहीय धूल, मंगल ग्रह का वातावरण और पर्यावरण भी शामिल हैं. चंद्रयान 3 की तरह मंगलयान-2 को मंगल ग्रह पर लैंड कराया जाएगा और फिर वह लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान की तरह Planet का अध्यन कर जानकारी मुहैया कराएगा. मंगलयान-2 की लॉन्चिंग अगले साल यानी 2024 में होने की उम्मीद है.

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क्या साथ ले जाएगा Mangalyaan 2
बता दें कि 24 सितंबर 2014 को भारत ने अपने पहले प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर इतिहास रचा था. यह ऐसी उपलब्धि थी कि उस दौरान इसरो को अलावा किसी अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक अपना यान नहीं उतारा था. जानकारी के मुताबिक, मंगलयान-2 मिशन के दौरान एक मार्स ऑर्बिट डस्ट एक्सपेरिमेंट (MODEX), एक एनर्जेटिक आयन स्पेक्ट्रोमीटर (EIS), एक रेडियो ऑकल्टेशन (RO) प्रयोग और एक लैंगमुइर प्रोब और इलेक्ट्रिक फील्ड एक्सपेरिमेंट (LPEX) को ले जाएगा.


मंगल ग्रह पर दिखा 2 KM ऊंचा बवंडर
नासा के पर्सिवेरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर धूल से भरा बवंडर देखा है. ये धूल भरे बवंडर पृथ्वी पर भी होते हैं। ये तब बनते हैं जब गर्म हवा नीचे आ रही ठंडी हवा के कॉलम के साथ मिलती है. मंगल ग्रह के बवंडर पृथ्वी पर पाए जाने वाले बवंडरों की तुलना में बहुत बड़े हो सकते हैं. टीम के अधिकारियों के अनुसार, 30 अगस्त को मिशन के 899वें मंगल दिवस या सोल पर नासा के पर्सिवेरेंस रोवर ने मंगल ग्रह के धूल के बवंडर के सतह के पास वाले हिस्‍से का वीडियो भेजा है. 

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस साल चंद्रमा पर खोज के लिए चंद्रयान-3 को भेजा है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग और रोवर-लैंडर की रिसर्च, सूर्य पर आदित्य L1 की अब तक की प्रगति से ISRO उत्साहित है. इसरो गृहों पर नए रिसर्च पर लगा हुआ है. अब इसी क्रम में उसने एक बार फिर मंगल ग्रह पर अपने यान को भेजने का प्लान तैयार किया है.

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