जबलपुर लोकसभा सीट पर पिछले 27 बरस से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. हालांकि आजादी के बाद लगातार इस सीट पर कांग्रेस जीतती रही थी. पहली बार जबलपुर सीट पर बीजेपी ने जीत का स्वाद चखा था. 2024 के आम चुनाव में जबलपुर लोकसभा सीट से कुल 19 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने वर्तमान सांसद राकेश सिंह की जगह पर आशीष दुबे पर दांव खेला है जबकि कांग्रेस ने दिनेश यादव पर भरोसा जताया. इस सीट के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है.
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2019 के लोकसभा चुनाव में जबलपुर से बीजेपी के प्रत्याशी राकेश सिंह को जीत मिली थी. उन्हें कुल 826454 वोट मिले थे. राकेश सिंह के निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार पंडित विवेक कृष्ण तन्खा रहे थे. उन्हें इस क्षेत्र के कुल 371710 वोटरों का साथ मिला था. इस तरह राकेश सिंह ने 2019 के आम चुनाव में 454744 वोटों के अंतर से जबलपुर सीट पर जीत दर्ज की थी. 2019 के आम चुनाव में जबलपुर संसदीय क्षेत्र में कुल 1819893 मतदाता थे. इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 877963 थी जबकि पुरुष वोटर की संख्या 941849 थी. जबलपुर संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की 8 सीटें शामिल हैं. ये सीटें हैं - पाटन, बरगी, जबलपुर ईस्ट, जबलपुर नॉर्थ, जबलपुर कैंट, जबलपुर वेस्ट, पनागार और सिहोरा.
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जबलपुर की पहचान नर्मदा के सुंदर घाटों और संगमरमर की पहाड़ियों से भी है. जबलपुर में एमपी हाई कोर्ट भी है. यहां की व्हीकल फैक्ट्री में बनाए जाने वाले हैवी ड्यूटी ट्रक देश के कोने-कोने तक आर्मी को सप्लाई किए जाते हैं. जबलपुर में रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू कृषि यूनिवर्सिटी और मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय भी हैं. इनके अलावा यह क्षेत्र बौद्ध, हिंदू और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अध्यात्मिक महत्त्व रखता है. यहां की पहाड़ियों से निकलने वाला संगमरमर न सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक सप्लाई किया जाता है. इसी संगमरमर से पूरे देश के हजारों मंदिरों की मूर्तियां बनाई गई हैं. दूध जैसा सफेद संगमरमर यहां की सबसे बड़ी पहचान है.
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