जादवपुर लोकसभा सीट पर इस बार के चुनाव में (Lok Sabha Election 2024) काफी जोरदार टक्कर देखने को मिल सकती है. इस बार फिर टीएमसी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है. 2014 में यहां से सुगाता बोस को जीत मिली थी. हालांकि, इसके बाद 2019 में पार्टी ने उम्मीदवार बदलते हुए यहां से युवा मिमी चक्रवर्ती को टिकट दिया और वह लगभग तीन लाख वोटों से जीतकर संसद पहुंची थीं. उन पर क्षेत्र में नहीं रहने और स्थानीय कार्यकर्ताओं से संवादहीनता के आरोप लगते रहे और पार्टी ने आखिरकार टिकट काट दिया.
इस बार हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
जादवपुर लोकसभा सीट से सीपीआई (एम) सृजन भट्टाचार्य, टीएमसी ने सयानी घोष, बीजेपी ने डॉ अनिर्बान गांगुली और एसयूसीआई ने कल्पना दत्ता को उम्मीदवार बनाया है. इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. पिछली बार बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी और इस बार पार्टी अपना पूरा जोर इस सीट को जीतने में लगा रही है. जादवपुर से बंगाल की राजनीति को कई बड़े चेहरे मिले हैं और यह ऐतिहासिक महत्व का संसदीय क्षेत्र है.
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यहीं से शुरू हुई थी ममता बनर्जी की राजनीतिक यात्रा
जादवपुर लोकसभा सीट का स्थान ममता बनर्जी के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहा है. 1984 में ममता ने यहीं से सीपीएम के कद्दावर नेता सोमनाथ चटर्जी को हराया था और पहली बार लोकसभा पहुंची थी. बंगाल की राजनीति में इस जीत के साथ ही दीदी ने अपने राजनीतिक भविष्य की झलक दिखाई थी. इस लोकसभा सीट से सोमनाथ चटर्जी और इंद्रजीत गुप्त जैसे कद्दावर नेता सांसद रहे हैं. बंगाल में लेफ्ट समर्थित छात्र आंदोलनों के लिए भी यह जगह चर्चित रही है.
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