डीएनए हिंदी: आतंकवाद (Terrorism) और अलगाववाद (Separatism) से जूझ रहे कश्मीर (Kashmir) की तस्वीर बदल रही है. कश्मीर, अब देश की मुख्य धारा में शामिल होने के लिए बेताब है. अब न तो घाटी में आतंकियों की उतनी दहशत रही है, न ही ऐसा हाल कि वहां जाने से देश के दिग्गज नेताओं को डर लगे. शायद यही वजह है कि गृहमंत्री अमित शाह ने बारामूला में अपनी सफल रैली आयोजित की.
यह वही बारामूला (Baramulla) है जिसे आतंकवादियों का गढ़ कहा जाता था. यहां बीते 3 दशकों से किसी केंद्रीय मंत्री ने दौरा नहीं किया था. यह इतिहास रचा गया 5 अक्टूबर को. गृहमंत्री अमित शाह ने बारामूला में इसी दिन रैली आयोजित की. उनकी रैली में जिले लोग बड़ी संख्या में उमड़े थे. इस रैली में हर वर्ग और हर तबके के लोग शामिल हुए थे. मतलब साफ है कि आतंकवादियों के हौसले पस्त हो गए हैं और आम कश्मीरी देश को बदलाव की नजर से देख रहा है.
'पाकिस्तान के साथ नहीं करेंगे बात, कश्मीर से आतंकवाद करेंगे खत्म,' बारामूला में गरजे अमित शाह
जब गृहमंत्री अमित शाह ने मुफ्त गैस सिंलेंडर्स की बात की तो वहां मौजूद लोगों ने तालियां बजानी शुरू कर दी. उज्ज्वला योजना के तहत जो महिलाएं पहाड़ी क्षेत्रों में अपना खाता रजिस्टर कराया है, उन्हें एक की जगह दो सिलेंडर मिलते हैं. यह उत्साह साफ इशारा कर रहा था कि अब लोगों को अपनी सरकारों पर भरोसा भी है.
कश्मीर के लिए क्या है BJP का प्लान?
जम्मू-कश्मीर में जब भी चुनाव होंगे, भारतीय जनता पार्टी किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. बीजेपी से जुड़े हुए सूत्र यह कह रहे हैं. बीजेपी के बड़े नेताओं ने भी साफ कर दिया है कि अब परिवारवादी पार्टियों के हवाले कश्मीर की जनता को नहीं किया जाएगा.
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आतंकियों का संपूर्ण सफाया चाहती है केंद्र सरकार
बारामूला के लिए सुरक्षा एजेंसियों को साफ निर्देश दिया गया है कि किसी भी स्तर तक जाकर आतंकवाद का सफाया करें. इस जिले से पूरी तरह से आतंकवाद खत्म हो जाना चाहिए.
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अमित शाह की रैली में दिखी बदलाव की बयार
अमित शाह की रैली में कई चीजें ऐसी नजर आईं जिनके बारे में पहले नहीं सुना गया था. करीब 40,000 की भीड़ गृहमंत्री अमित शाह को सुनने आई थी. वहां गृहमंत्री ने जो कुछ भी कहा, वहां के लोग उससे उत्साहित नजर आए. लोगों ने भारत माता की जय के नारे भी लगाए, जो इस क्षेत्र में पहले कम देखने को मिलता था. यह बदले हुए कश्मीर की कहानी कह रहा है.
...इस वजह से भी जनता को हो रहा है केंद्र पर भरोसा
अमित शाह ने एक शहीद पुलिसकर्मी के परिवार से मिलने का फैसला अचानक लिया. वह बारामूला एनकाउंटर में शहीद हुए पुलिसकर्मी मुदासिर शेख के घर जा पहुंचे. उन्होंने प्रोटोकॉल तोड़कर पीड़ित परिवार से मुलाकात की. गृहमंत्री उस जगह भी गए जहां पुलिसकर्मी का शव दफनाया गया था. ये बदलाव कश्मीर के लिए नए हैं. अचानक पहाड़ी रूट पर बिना प्लानिंग के जाना, किसी भी नेता के लिए पहले इतना मुमकिन नहीं था.
चुनाव कराने की हो रही हैं तैयारियां!
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक कश्मीर घाटी में चुनाव भी जल्द कराया जा सकता है. चुनाव आयोग ने राज्य के लिए चुनाव की तैयारियों पर चर्चा शुरू कर दी है. आने वाले कुछ महीनों में कश्मीर में नए वोटर भी बड़ी संख्या में जुटने वाले हैं. ऐसा माना जा रहा है कि अब घाटी में चुनाव होंगे तो नई पीढ़ी अपने भाग्य का फैसला करेगी.
भारतीय जनता पार्टी कई राज्यों में अप्रत्याशित जीत दर्ज कर चुकी है. पूर्वोत्तर के राज्यों में भी बीजेपी को मनचाही जीत मिली है. ऐसा हो सकता है कि बीजेपी केंद्र शासित प्रदेश के नए वोटरों को लुभाने में कामयाब हो जाए. कश्मीर में बदलाव की बयार दिखने लगी है. बदलते हालात तो यही कहानियां कह रही हैं.
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