Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर (J&K)को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की प्रक्रिया चर्चा में हैं. सीएम उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है, इसे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी तुरंत स्वीकृति दे दी. हालांकि, यह प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है. जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के लिए और कई महत्वपूर्ण कदम अभी बाकी हैं.
पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए इस अधिनियम में करना होगा संशोधन
इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश करने के बाद इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा, जहां अंतिम निर्णय लिया जाएगा. अगर सब कुछ ठिक रहा तो सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को उठाने की संभावना है, जिससे जम्मू-कश्मीर को इस वर्ष के अंत तक पूर्ण राज्य का दर्जा मिल सकता है. इसके साथ ही केंद्र सरकार को कानूनी रूप से 2019 के जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करना होगा, जिसने राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया था. इस संशोधन के बाद ही जम्मू-कश्मीर को पुनः राज्य का दर्जा मिल सकेगा. फिलहाल, राज्य में उपराज्यपाल की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है और राज्य के संवैधानिक ढांचे में बदलाव हुआ है.
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इस वर्ष जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में किया गया था विभाजित
अगस्त 2019 में, केंद्र ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में विभाजित कर लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था. यदि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा फिर से मिलता है, तो राज्य की सरकार को पूरी संवैधानिक शक्तियां मिलेंगी और विधानसभा को विधायी शक्तियों का उपयोग करने का अधिकार होगा. 10 वर्षों के अंतराल के बाद हुए विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस को बहुमत मिला है. उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बन चुके हैं. पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद राज्य सरकार की शक्तियों में बढ़ोतरी होगी, जिससे विकास योजनाओं और स्थानीय मुद्दों पर आसानी से निर्णय लिया जा सकेगा.
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