डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से पूछा है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे और राज्य का दर्जा वापस कब मिलेगा? इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर बताया कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला स्थायी नहीं है. उन्होंने कहा कि जब हालात सामान्य हो जाएंगे, जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बना दिया जाएगा.
केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि भविष्य में जम्मू-कश्मीर को एक राज्य का दर्जा दिया जाएगा, जबकि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे के भविष्य पर 31 अगस्त को सरकार विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी.
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जम्मू-कश्मीर में लोकतत्रं की बहाली जरूरी
मेहता की दलील सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने पूछा कि जम्मू कश्मीर चुनाव कब होंगे? उन्होंने कहा कि क्या सरकार ने कोई रोडमैप बनाया है. आपको हमें बताना होगा कि सरकार क्या कदम उठाने वाली है और एक केंद्र शासित प्रदेश को फिर से राज्य में बदलेंगे. यह कब तक होगा यह इसका जवाब देना होगा क्योंकि वहां लोकतंत्र की बहाली महत्वपूर्ण है.
सीजेआई ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारतीय संविधान के विवादास्पद प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देता है और यह भेदभावपूर्ण है. तत्कालीन राज्य के मुख्यधारा के दो राजनीतिक दलों का नाम लिए बिना, केंद्र ने सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ को बताया कि नागरिकों को गुमराह किया गया है कि जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान भेदभाव नहीं बल्कि विशेषाधिकार थे.
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तत्कालीन राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संवैधानिक प्रावधान को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत को बताया, "आज भी दो राजनीतिक दल इस अदालत के समक्ष अनुच्छेद 370 और 35ए का बचाव कर रहे हैं." सीजेआई चंद्रचूड़ ने मेहता की दलीलों को स्पष्ट करते हुए कहा कि अनुच्छेद 35ए को लागू करके आपने वस्तुतः समानता, देश के किसी भी हिस्से में पेशा करने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लिया और यहां तक कि कानूनी चुनौतियों से छूट एवं न्यायिक समीक्षा की शक्ति भी प्रदान की. (PTI इनपुट के साथ)
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