जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में रविवार को आतंकी हमला हुआ. शिवखोड़ी मंदिर से दर्शन करके लौट रहे तीर्थयात्रियों की बस को आतंकवादियों ने निशाना बनाया. इस हमले में 9 लोगों की जान चली गई, जबकि 41 से ज्यादा घायल हो गए. इस बस में दिल्ली के तुगलकबाद एक्सटेंशन में रहने वाले भवानी शंकर भी थे. गनीमत रही कि उनकी जान बच गई. शंकर इस घटना की आपबीती बताते हुए रो पड़े. उन्होंने बताया कि जब पहाड़ियों से गोलियां चल रही थीं तो मैंने नीचे झुककर अपने दोनों बच्चों को बस की सीट के नीचे छिपा दिया था.
भवानी शंकर ने कहा कि वह 6 जून को अपनी शादी की सालगिरह पर कटरा स्थित वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन करने गए थे. उन्होंने कहा कि उनके साथ उनकी पत्नी राधा देवी और 5 साल की बेटी दीक्षा और 3 साल का बेटा राघव भी था. शंकर और उनके परिवार के सदस्य आतंकी हमले में घायल हुए दिल्ली के पांच लोगों में शामिल हैं, जिनका जम्मू कश्मीर के अस्पतालों में इलाज हो रहा है. शिवखोड़ी मंदिर से कटरा की ओर जा रही 53 सीट वाली बस पर आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में 10 लोगों की मौत हो गई और 41 अन्य घायल हो गए.
घटना रविवार शाम रियासी के पोनी क्षेत्र के तेरयाथ गांव के पास हुई. इस बस में सवार भवानी शंकर ने कहा, 'छह जून को हम दिल्ली से श्री शक्ति एक्सप्रेस में सवार हुए और कटरा पहुंचे. 7 जून को हम वैष्णो देवी मंदिर गए और 8 जून की आधी रात तक अपने होटल के कमरे में लौट आए.' उन्होंने कहा कि 9 जून को हमने कटरा से शिवखोड़ी मंदिर के लिए बस ली और यात्रा के लिए 250 रुपये के दो टिकट खरीदे.
ताबड़तोड़ होती रही फायरिंग
शंकर ने बताया कि मंदिर से लौटते वक्त बस पर हमला हुआ. बस में हमारे बच्चे हमारी गोद में थे. हमने शाम लगभग छह बजे गोलियों की आवाज सुनी. केवल 10-15 सेकंड में 20-25 से अधिक गोलियां चलाई गईं. एक गोली हमारे चालक को लगी और बस नियंत्रण से बाहर हो गई.' शंकर ने बताया कि बस हवा में घूम गई और बाद में अपनी सीधी स्थिति में आ गई लेकिन इसके पहिए पहाड़ी इलाके में पत्थरों और पेड़ों में फंस गए.
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उन्होंने कहा कि मैं नीचे झुक गया और अपने दोनों बच्चों को सीट के नीचे छिपा दिया क्योंकि पहाड़ियों से गोलीबारी बरस रही थीं. हमने यह सोचकर एक-दूसरे को कसकर गले लगाया कि यह हमारे जीवन का अंतिम क्षण हो सकता है. कुछ लोग चिल्ला रहे थे-हमला हो गया है. शंकर ने कहा कि हम 20-25 मिनट तक इसी स्थिति में रहे क्योंकि जब हम खाई में पड़े थे तो कुछ और गोलियां चलाई गईं. लेकिन 5 मिनट तक लगातार गोलियां बरसती रहीं.
'बेटे का हाथ टूटा, बेटी के सिर में चोट'
उन्होंने कहा कि वह इस भयावह घटना को कभी नहीं भूलेंगे. शंकर ने कहा कि कुछ यात्री बस से बाहर गिर गए और बचाव दल के पहुंचने तक हर कोई चिल्ला रहा था. वह और उनके दो बच्चे एक ही अस्पताल में भर्ती हैं जबकि उनकी पत्नी का इलाज जम्मू-कश्मीर के दूसरे अस्पताल में हो रहा है.मेरे बेटे का हाथ टूट गया है और मेरी बेटी के सिर में चोटें आई हैं. मेरी पीठ में अंदरूनी चोटें आई हैं और मेरी पत्नी के सिर तथा पैरों में कई चोटें आई हैं.
हमले में जीवित बचे शंकर दिल्ली में इंडियन ऑयल में तैनात एक अधिकारी के यहां चालक के पद पर कार्यरत हैं. वह अपनी पत्नी, पिता और एक अन्य रिश्तेदार के साथ दिल्ली के तुगलकाबाद एक्सटेंशन में रहते हैं. उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली में अपने परिवार के सदस्यों के साथ फोन के जरिए नियमित संपर्क में हूं.' (इनपुट- भाषा)
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