जम्मू कश्मीर में आम लोगों को क्यों दिए जा रहे हैं हथियार, डांगरी हमले के बाद बना कोई सीक्रेट प्लान?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jan 10, 2023, 09:00 AM IST

Village Defense Guards

Dangri Terror Attack: जम्मू कश्मीर में विलेज डिफेंस गार्ड्स को एक बार फिर से सक्रिय किया जा रहा है और हथियार बांटे जा रहे हैं.

डीएनए हिंदी: जम्मू-कश्मीर के डांगरी में हुए आतंकी हमले (Dangri Terror Attack) के बाद से प्रशासन हाई अलर्ट पर है. इस हमले में कुल 6 लोगों की मौत हो चुकी है. आतंकियों की ओर से की गई गोलीबारी में 6-7 लोग घायल भी हुए थे. इस हमले के बाद डांगरी में सुरक्षा बढ़ाई गई है. सुरक्षा बलों की कई कंपनियां जम्मू-कश्मीर में तैनात की गई हैं. अब डोडा की तरह ही यहां के आम लोगों यानी ग्राम रक्षा गार्ड्स (Village Defence Guards) से जुड़े लोगों को हथियार भी दिए जाने का ऐलान कर दिया गया है. डांगरी हमले में भी वीडीसी से पुराने सदस्य बालकृष्ण ने जिस तरह से साहस दिखाया, उससे सुरक्षाबलों को भी भरोसा हुआ है. स्थानीय निवासियों की मांग थी कि हर परिवार के पास कम से कम एक बंदूक होनी चाहिए, जिससे संकट की घड़ी में वे आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे सकें.

2 जनवरी को डांगरी गांव में पीड़ितों का हाल जानने के लिए खुद जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पहुंचे. स्थानीय लोगों का हाल जानने और उनकी मांग सुनने के बाद मनोज सिन्हा ने कहा कि डांगरी की ग्राम रक्षा समिति यानी वीडीजी से जुड़े लोगों को हथियार उपलब्ध कराए जाएंगे. जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने भी कहा है कि आत्मरक्षा के लिए यहां के लोगों को बंदूकें दी जाएंगी.

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क्या है विलेज डिफेंस गार्ड?
ग्राम रक्षा समिति वीडीसी या ग्राम रक्षा गार्ड्स जम्मू-कश्मीर में पहली बार 1990 में बनाए गए. उस समय के डोडा जिले में आतंकवादियों से बचाव में इस योजना ने काफी मदद दी. उस समय 10 जिलों में 26 हजार से ज्यादा लोगों को वीडीसी में भर्ती किया गया था. इन सभी को हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई थी. जब डांगरी गांव में हमला हुए वीडीसी के एक पुराने सदस्य बालकृष्ण ने भी मोर्चा संभाला और कई लोगों की जान बचाई.

बीते समय में वीडीसी ने कई आतंकी हमलों को रोका. हालांकि, बाद में जब आतंकी हमले कम हो गए तो ये हथियार वापस ले लिए गए. अब वीडीसी का नाम बदलकर वीजीजी किया जा चुका है. हालांकि, बीते कुछ महीनों में आतंकी हमलों की संख्या बढ़ने के बाद एक बार फिर से हथियार दिए जा रहे हैं. इसके तहत, पूर्व सैनिकों, पूर्व पुलिसकर्मियों और कुछ स्थानीय नागरिकों को .303 राइफल और 100 गोलियां दी जाती है.

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क्या है प्लान?
डांगरी हमले के बाद पुलिस ने वीडीजी से जुड़े लोगों को फिर से इकट्ठा किया है. इन लोगों को .303 राइफल दी गई हैं. जिन लोगों को हथियार चलाना आता है पुलिस उनकी ट्रेनिंग की समीक्षा फिर से कर रही है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन की कोशिश है कि सुदूर बसे गांवों में इस तरह के हमलों की स्थिति में स्थानीय लोग अपनी जान बचाने के लिए थोड़े तैयार रहेंगे तो बैकअप भेजने का समय मिल जाएगा और उनकी जान बच जाएगी.

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