डीएनए हिंदी: झारखंड की कांग्रेस-झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन सरकार (Jharkhand Government) खतरे में लग रही है. अयोग्यता के मामले में घिरे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने शनिवार को गठबंधन के सभी विधायकों की एक बैठक बुलाई थी. इस बैठक में 11 विधायकों के न पहुंचने के बाद गठबंधन नेताओं के होश उड़ गए हैं. वैसे तो गठबंधन नेता कह रहे हैं कि यह बैठक सुखाड़ यानी सूखा के मुद्दे पर बुलाई गई थी लेकिन राजनीति गलियारों में चर्चा है कि मामला कुछ और ही है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैठक में सिर्फ़ 37 विधायक ही पहुंचे जबकि बहुमत के लिए 42 विधायक ज़रूरी हैं.
मीटिंग में अलग-अलग कारणों से नहीं पहुंचे 11 विधायकों से संपर्क की कोशिश शुरू कर दी गई है. दोनों पार्टियां प्रयास कर रही हैं कि कैसे भी ये विधायक पाला न बदल लें. दूसरी तरफ, 50 लाख रुपये कैश लेकर पश्चिम बंगाल में गिरफ्तार किए गए कांग्रेस के तीन विधायकों को भी जमानत मिल गई. इन विधायकों ने कहा है कि रानजीतिक लाभ के लिए मुख्यमंत्री ने उन्हें गिरफ्तार करवाया लेकिन उनका खून कांग्रेसी है और वे बीजेपी में कभी भी नहीं जाएंगे.
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JMM-कांग्रेस के कई विधायक नहीं आए
हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक में सुखाड़ की स्थिति पर चर्चा की गई. इसके अलावा विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्याएं भी मंत्रियों और मुख्यमंत्री के सामने रखीं. इस बैठक में कांग्रेस के तीन विधायक तो वही अनुपस्थित रहे जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इसके अलावा, कांग्रेस की ममता देवी हाल ही में मां बनी हैं, शिल्पी नेहा तिर्की दिल्ली में हैं. कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह, भूषण बाड़ा और JMM के सरफराज अहमद, चमरा लिंडा और समीर मोहंती इस बैठक में शामलि नहीं हुए. सीएम हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन भी इस मीटिंग से नदारद रहे.
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आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में गिरफ्तार किए गए कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी (जामताड़ा विधानसभा), राजेश कछप (खिजरी विधानसभा) और नमन बिक्सल (कोलेबीरा) को कलकत्ता हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. इन विधायकों ने कहा, 'मुख्यमंत्री ने ही अपने राजनीतिक फायदे के लिए हमें फंसाया. जो पैसा मिला वह हमारा ही था. हमारी रगों में कांग्रेस का खून दौड़ रहा है. हम बीजेपी में कभी शामिल नहीं हो सकते और वैसे भी 3 विधायक सरकार नहीं गिरा सकते.'
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, खदान की लीज देने के मामले में हेमंत सोरेन के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का केस चल रहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग दोनों ने सुनवाई पूरी कर ली है और फैसला सुरक्षित रख लिया है. दोषी पाए जाने पर हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है. बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि हेमंत सोरेन ने अपनी बीवी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी कर ली है.
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राजनीति गलियारों में चर्चा है कि हेमंत सोरेन हर स्थिति के लिए तैयार हैं और वह आंक रहे हैं कि अगर वह सीएम नहीं रहेंगे तो गठबंधन के विधायकों का क्या रुख होगा. कयास लगाए जा रहे हैं कि हेमंत सोरेन ने अपनी यही ताकत आजमाने के लिए यह मीटिंग बुलाई थी लेकिन 11 विधायकों के न पहुंचने से उनकी कोशिशों को शुरुआत में ही धक्का लग गया है.
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