डीएनए हिंदी: उत्तराखंड (Uttarakhand) के अलग-अलग हिस्सों में जमीनें धंस रही हैं. जोशीमठ के बाद अब बद्रीनाथ हाईवे पर जमीन धंसने की खबरें सामने आई है. चमोली के डीएम हिमांशु खुराना ने कहा है कि बद्रीनाथ हाईवे पर भू-धंसाव की खबरें सामने आई हैं. जहां, जोशीमठ के कई हिस्सों में जमीनें दरकी हैं, लोगों को रेस्क्यू करना पड़ा है, अब बद्रीनाथ के हाल ने विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है. जिला प्रशासन ने कहा है कि स्थिति का आंकलन करने के लिए केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) की एक टीम काम कर रही है.
CBRI की अब तक रिपोर्ट में यह सामने आया है कि दरारें नेशनल हाईवे के किनारे हो रहे निर्माण कार्यों की वजह से भी आ सकती हैं. जिला अधिकारी का कहना है कि ये दरारें अभी परेशानी की वजह नहीं बनी हैं. बद्रीनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा की शुरुआत से पहले ही इसे दुरुस्त कर लिया जाएगा. आमतौर पर यह यात्रा मई में शुरू होती है.
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क्यों धंस रही है उत्तराखंड में जमीन?
ज्यादातर हिमालयी राज्यों की जमीनें भूस्खलन की नींव पर तैयार हुई हैं. लगातार बारिश, जल-जमाव और अनियंत्रित निर्माण यहां की जमीन को कमजोर कर रहा है. सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पहाडों की कटान, हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट के नाम पर हो रहा कंस्ट्रक्शन वर्क और होटलों का निर्माण भी त्रासदी की एक वजह है.
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क्या है जोशीमठ का मौजूदा हाल?
जोशीमठ में 700 से ज्यादा घरों में दरारें आई हैं. प्रभावित लोगों के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया गया है. लोगों को अस्थाई तौर पर राहत शिविरों में रखा गया है. उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ में परिवारों के लिए 45 करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया है. उन्हें स्थाई तौर पर कहां बसाया जाएगा, इसके बारे में कुछ भी आधिकारिक तौर पर नहीं कहा गया है.
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