डीएनए हिंदी: जोशीमठ में भू-धंसाव (Land Subsidence) तेजी से बढ़ा है. ज्यादातर घरों में दरारें पड़ी हैं, जमीनें धंस रही हैं. सरकार लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जा रही है. भू-वैज्ञानिकों की उत्तराखंड के इस शहर पर नजर है. केंद्र ने स्थिति का आकलन करने के लिए कई कदम भी उठाए हैं. जोशीमठ की जमीन का सर्वेक्षण किया जा रहा है. वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इस त्रासदी की असली वजह क्या है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRAC) ने जोशीमठ की सेटेलाइट तस्वीरें और भू-धंसाव पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है, जिससे पता चलता है कि पूरा शहर धंस सकता है.
जोशीमठ की सारी तस्वीरें काटोर्सैट-2S सेटेलाइट से ली गई हैं. हैदराबाद स्थित एनआरएससी ने धंसते क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं. तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्न्ति किया गया है.
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नवंबर तक धीमी थी उत्तराखंड में धंसने की रफ्तार
ISRO की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जमीन का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक धंस गया था.
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12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर तक धंसी जमीन
ISRO की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धंसाव की तीव्रता में भीषण इजाफा हुआ और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया. वैज्ञानिक अभी भी कस्बे में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं. ऐसा लग रहा है कि यह पूरा शहर खंडहर में तब्दील होने वाला है, जहां कभी बेहद सघन आबादी थी. (IANS इनपुट के साथ)
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