डीएनए हिंदी: उत्तराखंड (Uttarakhand) का धार्मिक शहर जोशीमठ (Joshimath) डूब रहा है. जोशीमठ को कई तीर्थस्थलों का प्रवेश द्वार कहा जाता है. ISRO की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते 10 दिनों में शहर की जमीन कई सेंटीमीटर नीचे धंस गई है. जोशीमठ पर वैज्ञानिक 4 दशकों से चिंता जाहिर कर रहे थे. उनका मानना है था कि जोशीमठ की जमीन अनियंत्रित निर्माण नहीं सह सकती है. वैज्ञानिकों की चेतावनी पर सरकार ने सही समय पर ध्यान नहीं दिया.
ISRO ने सैटेलाइट इमेज के जरिए दिखाया कि कैसे बीते 10 दिनों में शहर की जमीन 5 सेंटीमीटर से ज्यादा धंस गई है. जोशीमठ के कई इलाकों में जमीन धंस रही है. घरों में गहरी दरारें पड़ गई हैं, वहीं जमीनें दरक रही हैं. शहर के लोगों में दहशत फैली है. लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया है. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर नागरिकों के रेस्क्यू पर जुटी है.
विशेषज्ञों का मानना है कि जोशीमठ इसलिए डूब रहा है क्योंकि शहर का निर्माण भूस्खलन से बनी जमीन पर हुआ है. जोशीमठ की जमीन में ढीले मलबे और कमजोर चट्टानें हैं, जो निर्माण का बोझ नहीं सह पा रही हैं. पर्यटकों की बढ़ती संख्या और अनियंत्रित निर्माण ने भी जोशीमठ त्रासदी के लिए जिम्मेदार है.
Joshimath Sinking: डूब जाएगा जोशीमठ, 10 महीने में तेजी से धंसी जमीन, ISRO की सैटेलाइट इमेज ने दिखाई असलियत
कई शहरों में धंस सकती है जमीन
विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों के मुताबिक, जोशीमठ अकेला ऐसा शहर नहीं है, जिसके डूबने का खतरा है. कई शहर ऐसे हैं, जहां जोशीमठ जैसी त्रासदी देखने को मिल सकती है.
Joshimath sinking: कैसे बसा था जोशीमठ, क्या है वीरान होने की वजह, क्या बच पाएगा शहर, समझिए
इन शहरों में भी नजर आ सकती है जोशीमठ जैसी त्रासदी
माणा गांव
टिहरी
धरासू
नैनीताल
हर्षिल
उत्तरकाशी
गौचर
पिथोरागढ़
चम्पावत
विशेषज्ञों का मानना है कि जोशीमठ की तरह ही इन कस्बों का निर्माण उन क्षेत्रों पर किया गया है, जिन्होंने अतीत में बहुत सारे भूस्खलन देखे हैं. यहां की जमीनें कठोर नहीं हैं इसलिए अस्थिर हैं. हर साल इन जगहों पर लाखों पर्यटक आते हैं, जिसकी वजह से कंस्ट्रक्शन वर्क अपने चरम पर है. जोशीमठ की तरह इन शहरों का भी हाल भविष्य में ऐसा हो सकता है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.