Joshimath sinking: जोशीमठ में गिरने लगे घर, दरकने लगी जमीन, शहर की बर्बादी पर क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स, पढ़ें

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jan 07, 2023, 04:45 PM IST

Joshimath News: दरकने लगी है जोशीमठ की जमीन. (तस्वीर-PTI)

Joshimath sinking: जोशीमठ डूब रहा है. शहर की जमीनें दरक रही हैं. उत्तराखंड की त्रासदी पर देशभर की नजर है.

डीएनए हिंदी: उत्तराखंड (Uttarakhand) का जोशीमठ (Joshimath Sinking) डूब रहा है. शहर के 700 से ज्यादा मकानों में दरारें आ गई हैं. कई मंदिर गिर चुके हैं, वहीं कई मकान भी ध्वस्त हो गए हैं. सड़कों में गहरी दरारें पड़ गई हैं. साल 1976 से ही वैज्ञानिक यह आशंका जाहिर कर रहे थे कि भूस्खलन की जमीन पर तैयार हो रहा शहर, ऐसी स्थिति देख सकता है.

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के निदेशक कलाचंद सेन ने शुक्रवार को कहा कि मानवजनित और प्राकृतिक दोनों कारणों से जोशीमठ में जमीन धंस रही है. उन्होंने कहा कि ये कारक हाल में सामने नहीं आए हैं, बल्कि इसमें बहुत लंबा समय लगा है.

जोशीमठ संकट की वजह क्या है?

वैज्ञानिकों का कहना है कि जोशीमठ संकट के तीन प्रमुख कारण हैं. यह एक सदी से भी पहले भूकंप से उत्पन्न भूस्खलन के मलबे पर विकसित किया गया था, यह भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले ‘जोन-पांच’ में आता है और पानी का लगातार बहना चट्टानों को कमजोर बनाता है.

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कलाचंद सेन ने कहा, 'एटकिन्स ने सबसे पहले 1886 में हिमालयन गजेटियर में भूस्खलन के मलबे पर जोशीमठ की स्थिति के बारे में लिखा था. यहां तक कि मिश्रा समिति ने 1976 में अपनी रिपोर्ट में एक पुराने सबसिडेंस जोन पर इसके स्थान के बारे में लिखा था.'

अभी जोशीमठ में और भी खराब होंगे हालात 

कलाचंद सेन ने कहा कि हिमालयी नदियों के नीचे जाने और पिछले साल ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ के अलावा भारी बारिश ने भी स्थिति और खराब की होगी. उन्होंने कहा कि चूंकि जोशीमठ बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और औली का प्रवेश द्वार है, इसलिए शहर के दबाव का सामना करने में सक्षम होने के बारे में सोचे बिना क्षेत्र में लंबे समय से निर्माण गतिविधियां चल रही हैं. 

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और क्या वजहें हैं जोशीमठ संकट के लिए जिम्मेदार?

कलाचंद सेन ने कहा है कि इससे भी वहां के घरों में दरारें आई हों. उन्होंने कहा, 'होटल और रेस्तरां हर जगह बनाये जा रहे हैं. आबादी का दबाव और पर्यटकों की भीड़ का आकार भी कई गुना बढ़ गया है. कस्बे में कई घरों के सुरक्षित रहने की संभावना नहीं है. इन घरों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए, क्योंकि जीवन अनमोल है.'

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