डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म में कैलाश मानसरोवर की यात्रा का विशेष महत्व है. कैलाश पर्वत को भगवान शंकर का स्थान माना जाता है. मान्यता है कि यहां के दर्शन मात्र से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. कैलाश मानसरोवर की यात्रा पहले पड़ोसी देश चीन और नेपाल से होती थी. कोविड-19 से कैलाश मानसरोवर की यात्रा रुक गई थी. अब भारत से ही कैलाश पर्वत के दर्शन कर पाएंगे. आइए जानते हैं कि यह दर्शन कब से शुरू होंगे.
इस साल सितंबर के बाद से श्रद्धालुओं को भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन भारतीय भूभाग से सुलभ हो जाएंगे. अधिकारियों ने बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पिथौरागढ़ जिले के नाभीढांग में केएमवीएन हटस से भारत-चीन सीमा पर लिपुलेख दर्रे तक सड़क की कटाई का काम शुरू कर दिया है जो सितंबर तक पूरा हो जाएगा.
इसे भी पढ़ें- Manipur Violence: मणिपुर में भड़की है जातीय हिंसा, क्यों जल रही है घाटी?
कैलाश व्यू प्वाइंट होगा तैयार
बीआरओ की हीरक परियोजना के मुख्य इंजीनियर विमल गोस्वामी ने कहा कि हमने नाभीढ़ांग में केएमवीएन हटस से लिपुलेख दर्रे तक करीब साढ़े छह किलोमीटर लंबी सड़क को काटने का काम शुरू कर दिया है. सड़क का काम पूरा होने के बाद सड़क के साथ-साथ ‘कैलाश व्यू प्वाइंट’ तैयार होगा.बता दें कि हीरक परियोजना को भारत सरकार ने ‘कैलाश व्यू प्वाइंट’ विकसित करने की जिम्मेदारी दी है. गोस्वामी ने बताया कि सड़क की कटाई का काफी काम हो चुका है और अगर मौसम अनुकूल रहा तो यह सितंबर तक पूरा हो जाएगा. उन्होंने बताया कि सड़क की कटाई के बाद ‘कैलाश व्यू प्वाइंट’ बनाने का काम होगा.
इसे भी पढ़ें- कैसा रहा मानसून सत्र का पहला दिन, किस पर हुई चर्चा, कहां हुई तकरार?
कोविड के बाद से रुक गई थी यात्रा
कोविड के कारण स्थगित हुई लिपुलेख दर्रे के जरिए होने वाली कैलाश-मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू नहीं हो पायी है. जिसके मद्देनजर ऐसा विकल्प तैयार किया जा रहा है. जिससे श्रद्धालुओं को कैलाश पर्वत के दर्शन भारतीय भूभाग से ही मिल सके. जानकारी के लिए बता दें कि इस धार्मिक यात्रा को लेकर उत्तराखंड पर्यटन सचिव द्वारा संयुक्त टीम बनाई गई. जिसमें कुमाऊं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक, पर्यटन के अधिकारी और राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया गया है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.