Kanwar Yatra 2024: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान ढाबों, ठेलों और दुकानों पर मालिकों की नेमप्लेट लगाने के आदेश पर लगी अंतरिम रोक जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि किसी को भी नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. सु्प्रीम कोर्ट ने यह आदेश उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद दिया. इससे पहले शुक्रवार सुबह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया, जिसमें नेमप्लेट लगाए जाने के फैसले को सही ठहराया है. यूपी सरकार ने साफ कहा कि उनका मकसद किसी विशेष धर्म को निशाना बनाना नहीं बल्कि सामाजिक शांति और सौहार्द बनाए रखना है. योगी सरकार ने कहा है कि लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करना उसकी प्राथमिकता है. इसी कारण यह फैसला लिया गया था ताकि कांवड़ियों की धार्मिक भावनाएं किसी भी तरीके से आहत ना हों और उनके साथ कुछ गलत ना हो. सरकार ने यह भी कहा है कि मुजफ्फरनगर जैसी धार्मिक रूप से संवेदनशील जगह पर यह फैसला पूरी तरह उचित है. बता दें कि कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी और उससे जवाब मांगा था. इसके बाद यूपी सरकार ने यह जवाब दाखिल किया है.
राज्य बोले, 'कानून व्यवस्था में हो जाएगी दिक्कत'
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई शुरू होने पर उत्तराखंड और यूपी सरकार के वकील ने फैसले पर रोक से कानून व्यवस्था की दिक्कत पैदा होने का मुद्दा उठाया. यूपी सरकार के वकील ने कहा,'अगर सुनवाई हफ्ते या दो हफ्ते के लिए टलती है तो फिर सुनवाई करने का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा. कोर्ट ने हमारा पक्ष सुने बिना एकतरफा आदेश पास किया है. आप सोमवार या मंगलवार को सुनवाई कर इस मसले को तय करें.' नाम लिखने के समर्थन में याचिका दाखिल करने वाले वकील ने भी कहा कि यह शिवभक्तों की आस्था का मामला है.
'खुद नाम लिखना चाहें तो रोक नहीं'
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से पूछा कि यदि आपकी दलील ये है कि नाम लिखने का कानूनी प्रावधान है. आप हमें बताएं कि नेम प्लेट लगाने का निर्देश किस तरह आप हमेशा पूरे राज्य में लागू करते रहे हैं. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि नेम प्लेट लगवाने के आदेश पर अंतरिम रोक बरकरार रहेगी. हमारा आदेश साफ है. अगर कोई अपनी मर्जी से दुकान के बाहर अपना नाम लिखना चाहता है तो हमने उसे रोका नहीं है. हमारा आदेश था कि किसी को नाम लिखने के लिए मज़बूर नहीं किया जा सकता है.
'शांति और सौहार्द बनाए रखने के मकसद से लिया फैसला'
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान ढाबों, दुकानों और ठेलों पर नेम प्लेट लगाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं का विरोध किया है. यूपी सरकार ने कहा,'राज्य सरकार ने ये फैसला कांवड़ यात्रियों की तरफ से दुकान को लेकर की गई शिकायतों के आधार पर लिया है. कांवड़ यात्रा के दौरान खाने में प्याज-लहसुन के इस्तेमाल पर रोक होती है. ऐसे में खाने को लेकर मामूली गलतफहमी भी तनाव और झगड़े का कारण बनती रही है. नेमप्लेट लगाने के फैसले का मकसद ये था कि वे किस व्यक्ति से कौन सा खाना ले रहे हैं ताकि किसी भी तरह उनकी धार्मिक भावना आहत ना हो और शांति व सौहार्द बना रहे.'
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'सभी धर्मों के लिए दिया है आदेश'
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि उसका यह आदेश किसी भी तरह से धार्मिक भेदभाव वाला नहीं है. किसी को भी धर्म के आधार पर चिह्नित नहीं किया गया है. कांवड़ यात्रा मार्ग पर नेम प्लेट लगाने का निर्देश किसी एक खास मजहब नहीं बल्कि सभी धर्म को लोगों के लिए है. कांवरियों को परोसे जाने वाले भोजन के संबंध में छोटे-छोटे भ्रम भी उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकते हैं और भड़का सकते हैं. खासतौर पर मुजफ्फरनगर जैसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में पिछली घटनाओं से पता चला है कि बेचे जाने वाले भोजन के प्रकार के बारे में गलतफहमियों के कारण तनाव और गड़बड़ी हुई है. ऐसी परिस्थितियों से बचने के सक्रिय उपाय के तौर पर ही ये निर्देश जारी किए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह फैसला
कांवड़ यात्रा मार्ग पर दूसरे धर्म के लोगों द्वारा हिंदू देवी-देवताओं के नाम से ढाबे-होटल व दुकान चलाए जाने का मामला पिछले साल भी उछला था. उस समय कई कांवड़ियों ने खाने-पीने की चीजों को लेकर विवाद किया था. इसके चलते इस बार कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी होटलों, ढाबों, ठेला लगाने वालों आदि को स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि वे अपना नाम एक बड़े कागज पर लिखकर अपने प्रतिष्ठान पर चिपकाएंगे. विपक्षी दलों ने इसे मुस्लिम विरोधी बताते हुए कई तरह के आरोप भाजपा पर लगाए थे. इस फैसले के खिलाफ कई जनहित याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थीं. इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी और यूपी सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा था.
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