Kargil War 25th Anniversary: अब से ठीक पच्चीस साल पहले, Kargil में Pakistan को India के आगे मुंह की खानी पड़ी थी. यूं तो इस युद्ध में तमाम लोग शहीद हुए मगर इस युद्ध में कैप्टन सौरभ कालिया द्वारा दी गई कुर्बानी को शायद ही कोई देशवासी भूल पाए. ज्ञात हो कि कैप्टन सौरभ कालिया (Who was Captain Saurabh Kalia) कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले पहले इंडियन आर्मी ऑफिसर थे. उन्हें पाकिस्तानी सेना ने 5 अन्य फौजियों के साथ पकड़ लिया था और मारे जाने से पहले 22 दिनों तक क्रूर यातनाएं दी थीं.
कौन थे कैप्टन सौरभ कालिया? क्या हुआ था उनके साथ?
29 जनवरी, 1976 को अमृतसर में जन्में कैप्टन सौरभ कालिया हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में पले-बढ़े थे. सौरभ ने अपनी स्कूली शिक्षा डीएवी पब्लिक स्कूल से ली थी वहीं आगे की पढ़ाई उन्होंने केंद्रीय विद्यालय पालमपुर से की. बाद में सौरभ सी.डी.एस.आर के माध्यम से सेना में शामिल हुए और 12 दिसंबर, 1998 को 4 जाट में ऑफिसर के रूप में उन्हें नियुक्त कर कारगिल में तैनात किया गया. जहां उन्होंने काकसर उप-क्षेत्र में घुसपैठ पर अपनी पैनी निगाह रखी.
15 मई, 1999 को कैप्टन सौरभ कालिया अन्य पांच सैनिकों के साथ रूटीन गश्त पर निकले. तभी उन पर घात लगाकर बैठी पाकिस्तानी सेना ने हमला कर दिया और उन्हें जिंदा पकड़ लिया. बताया जाता है कि कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तान ने 22 दिनों तक बंधक बनाकर रखा और तमाम तरह की यातनाएं देकर मार डाला. 9 जून, 1999 को पाकिस्तानी सेना ने उनके शव को भारत को लौटा दिया था.
पाकिस्तान में कैप्टन सौरभ कालिया को किस हद तक यातनाएं दी गयीं? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथियों को सिगरेट से जलाया गया, उनकी आंखें निकाल ली गईं और उनके दांत और हड्डियां तोड़ दी गईं.
बहरहाल आज भी सौरभ कालिया के घरवाले अपने बेटे के साथ हुए दुर्व्यवहार के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है जिसमें उन्होंने सरकार से इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में उठाने की मांग की गई है.
उनका मानना है कि पाकिस्तान की कार्रवाई ने जिनेवा कन्वेंशन और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है और भारत को इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहिए। कई सुनवाइयों के बावजूद, आज भी ये मामला जस का तस है.
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