डीएनए हिंदी: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कांग्रेस (Congress) में माथापच्ची जारी है. बेंगलुरु में विधायक दल की बैठक हो रही है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक में विधायक दल का नेता चुन लिया जाए. कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री चुनना बड़ी चुनौती है. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) और कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) दोनों ही सीएम पद के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. दोनों ही नेता इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री बनने की अपनी आकांक्षा जाहिर भी कर रहे हैं.
डीके शिवकुमार ने रविवार को यह कहते हुए मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बने रहने का संकेत दिया कि वह सभी को साथ लेकर चले और उन्होंने अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगा. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के साथ उनका मतभेद होने की अटकलों को भी खारिज किया. शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस और विधायक दल कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री के बारे में फैसला लेंगे. जनता द्वारा पसंद किए जाने वाले लोगों के बजाय मेहनत करने वाले लोगों को तरजीह दिए जाने के सवाल पर शिवकुमार ने कहा कि जब 2019 के उपचुनाव में पार्टी की शिकस्त के बाद सिद्धरमैया और दिनेश गुंडु राव ने क्रमश: कांग्रेस विधायक दल के नेता और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, तो कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन पर विश्वास जताया था और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया था.
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डीके शिवकुमार के समर्थन में ज्यादा विधायक
सूत्रों के मुताबिक, डीके शिवकुमार को 68 विधायक समर्थन देने के लिए तैयार हैं. जबकि सिद्धारमैया के खेमे में 59 विधायक हैं. डीके शिवकुमार सीएम बनने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने कर्नाटक में 136 सीटों पर जीत दर्ज की है. लेकिन उनपर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. कांग्रेस ने चुनावी कैंपेन के दौरान बीजेपी के खिलाफ 40 प्रतिशत कमीशन भ्रष्टाचार का कैंपेन चलाया था. ऐसे कांग्रेस किसी साफ सुथरी छवि वाले उम्मीदवार को सीएम बनाना चाहेगी. हालांकि, शिवकुमार का दावा है कि उनपर दर्ज मुकदमे राजनीति से प्रेरित हैं.
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सिद्धारमैया की राजनीतिक समझ मजबूत
सिद्धारमैया अपनी लोकप्रियता और सामाजिक जनाधार की वजह से सीएम पद की रेस में आगे माने जा रहे हैं. सिद्धारमैया लंबे समय से AHINDA आंदोलन की आवाज रहे हैं जो गैर-प्रमुख पिछड़ी जातियों, दलित, आदिवासी और मुसलमानों का गठबंधन रहा. कांग्रेस चुनाव अभियान के दौरान सिद्धारमैया की गहरी राजनीतिक समझ , प्रशासनिक क्षमता का लाभ मिला है. यही वजह है कि उन्हें मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी को मजबूत माना जा रहा है.
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