Karnataka: टीपू सुल्तान के मुद्दे पर गर्म हुई राजनीति, BJP ने ओवैसी के बहाने चला हिंदू कार्ड

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 11, 2022, 05:31 PM IST

Karnataka Politics में अब एक बार फिर टीपू सुल्तान की एंट्री हो गई है और इससे राज्य की सियासत गर्म हो गई है.

डीएनए हिंदी: कर्नाटक में हाल ही में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सतीश जारकीहोली (Satish Jarkiholi) ने हिंदू धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी जिससे राज्य की सियासत गर्म हो गई थी. बीजेपी इस मुद्दे पर कांग्रेस पर हमलावर थी. इसके अलावा अब बीजेपी को राज्य में चुनावों से पहले हिंदुत्व का कार्ड खेलने के लिए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने बड़ा मौका दिया है. ओवैसी द्वारा कर्नाटक में टीपू जयंती मनाने की बातों के बीच बीजेपी ने इस मुद्दे पर हिंदू कार्ड खेल दिया है और इससे कर्नाटक में हिंदुत्व के मुद्दे पर सियासत गर्म हो गई है.

दरअसल, कर्नाटक के ईदगाह ग्राउंड पर ओवैसी ने टीपू सुल्तान की जयंती मनाई जाने के बीच बीजेपी के लिए एक नया मुद्दा तैयार हो गया है. ओवैसी के जरिए ही बीजेपी ने यहां टीपू को आलोचना की और फिर हिंदुत्व का कार्ड खेला. बीजेपी द्वारा कहा गया कि टीपू सुल्तान कोई महान व्यक्ति नहीं थे और न ही कोई आजादी आंदोलन से जुड़े थे कि उनकी जयंती मनाई जाए.

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ओवैसी पर भड़की BJP

बीजेपी ने कहा है कि ओवैसी से और कुछ भी उम्मीद नहीं की जा सकती है क्योंकि ओवैसी के राजनीतिक पूर्वज ही रजाकार थे जिन्होंने हैदराबाद में हिन्दुओं का नरसंहार किया था. बीजेपी ने यह जाहिर किया है कि  ओवैसी हिंदू विरोधी दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. 

इस मुद्दे बीजेपी नेता और आईटी सेल के प्रमुख ने ट्विटर के माध्यम से ओवैसी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा, "ओवैसी से इससे बेहतर और क्या उम्मीद की जा सकती है, जिनके पूर्वज रजाकार थे, जिन्होंने हैदराबाद में हिंदुओं का नरसंहार किया और जातीय रूप से उनका सफाया किया था!” औवैसी पर इस हमले के जरिए बीजेपी कर्नाटक विधानसभा चुनावों को लेकर राज्य में चुनावी जमीन तैयार करने की कोशिश कर रही है क्योंकि कर्नाटक में 2023 में ही विधानसभा चुनाव होंगे जो कि दक्षिण भारत में बीजेपी का एक अहम किला माना जाता है.

पिछली सरकार से ही शुरू हुआ था विवाद

आपको बता दें कि कर्नाटक में पिछली विधानसभा में कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के सीएम रहते हुए राज्य में टीपू सुल्तान की जयंती मनाने का ऐलान हुआ था. इस मुद्दे पर बीजेपी ने 2018 में ही कांग्रेस के खिलाफ एक मोर्चा खोल दिया था और कांग्रेस की सीटें बेहद कम हो गई थीं. कांग्रेस ने जेडीएस के साथ सरकार जरूर बनाई थी लेकिन वह भी ज्यादा समय तक नहीं चल सकी थी.

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वहीं बीजेपी की सरकार आने पर इस जयंती मनाने के फैसले को ही रद्द कर दिया गया था लेकिन स्थानीय स्तर परईदगाह मैदान में AIMIM की ओर से टीपू जयंती मनाने के लिए निकाय ने मंजूरी दे दी थी और यह मुद्दा अब बढ़ता जा रहा है.

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