डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज "कर्तव्य पथ" का उद्घाटन और इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. कल ही NDMC ने आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय से मिले एक प्रस्ताव को पारित कर "राजपथ" का नाम बदलकर "कर्तव्य पथ" किया था. अब इंडिया गेट पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पूरे इलाके को "कर्तव्य पथ" कहा जाएगा.
PMO ने कहा कि पूर्ववर्ती "राजपथ" सत्ता का प्रतीक था और उसे "कर्तव्य पथ" का नाम दिया जाना बदलाव का परिचायक है और यह सार्वजनिक स्वामित्व तथा सशक्तीकरण का एक उदाहरण भी है. पीएमओ ने कहा कि "कर्तव्य पथ" का उद्घाटन और सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री मोदी के अमृत काल में नए भारत के लिए "पंच प्रण" के आह्वान के दूसरे प्रण के अनुकूल है, जिसमें उन्होंने औपनिवेशिक मानसिकता की हर निशानी को समाप्त करने की बात कही थी.
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राजपथ और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के आसपास के इलाकों में भीड़ के कारण बुनियादी ढांचे पर पड़ते दबाव और सार्वजनिक शौचालय, पीने के पानी, स्ट्रीट फर्नीचर और पार्किंग स्थल की पर्याप्त व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण राजपथ का पुनर्विकास किया गया है. पीएमओ ने कहा कि इसमें वास्तु शिल्प का चरित्र बनाए रखने और अखंडता भी सुनिश्चित की.
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कर्तव्य पथ बेहतर सार्वजनिक स्थानों और सुविधाओं को प्रदर्शित करेगा, जिसमें पैदल रास्ते के साथ लॉन, हरे-भरे स्थान, नई नहरें, मार्गों के पास लगे बेहतर बोर्ड, नई सुविधाओं वाले ब्लॉक और बिक्री स्टॉल होंगे. इसके अलावा इसमें पैदल यात्रियों के लिए नए अंडरपास, बेहतर पार्किंग स्थल, नए प्रदर्शनी पैनल और रात्रि के समय जलने वाली आधुनिक लाइट से लोगों को बेहतर अनुभव होगा. पीएमओ ने कहा कि इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, भारी वर्षा के कारण एकत्र जल का प्रबंधन, उपयोग किए गए पानी की रीसाइक्लिंग और वर्षा जल संचयन जैसी अनेक दीर्घकालिक सुविधाएं शामिल हैं.
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इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की जा रही है, जहां इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस (23 जनवरी) के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था. PMO ने कहा कि ग्रेनाइट से बनी यह प्रतिमा हमारे स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के योगदान के लिए उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी और देश के उनके प्रति ऋणी होने का प्रतीक होगी. मुख्य मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा तैयार की गई 28 फुट ऊंची प्रतिमा को एक ग्रेनाइट पत्थर पर उकेरा गया है और इसका वजन 65 मीट्रिक टन है.
इनपुट- PTI
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