डीएनए हिंदी: लोकसभा चुनाव 2024 में अब बहुत कम वक्त बचा है. बीजेपी उत्तर भारत के राज्यों के साथ दक्षिण के राज्यों पर भी पूरा फोकस कर रही है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिव की नगरी वाराणसी से तमिल समागम की शुरुआत करेंगे. वाराणसी से सीधे रामेश्वरम के लिए एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी भी दिखाएंगे. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के भव्य आयोजन की तैयारी चल रही है. दक्षिण भारत में अभी तक पार्टी की स्थिति मजबूत नहीं हो सकी है जबकि उत्तर भारत में अजेय स्थिति में है. बीजेपी के रणनीतिकार इस बार दक्षिण के लिए भी खास योजना और रणनीति तैयार कर रहे हैं. दक्षिण के मतदाताओं से रिश्ता बनाने के लिए पीएम मोदी खुद काशी तमिल समागम का उद्घाटन करने वाले हैं.
काशी तमिल संगमम का दूसरा संस्करण रविवार से वाराणसी के नमो घाट पर एक बार फिर से शुरू हो रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 के लिहाज से यह महत्वपूर्ण कदम है. पिछले साल भी यह समागम एक महीने तक चला था. वाराणसी से रामेश्वरम तक के लिए एक ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाई जाएगी. राजनीतिक विश्लेषक इसे राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण सांकेतिक कदम मान रहे हैं. रामेश्वरम चार तीर्थ में से एक है जबकि वाराणसी भी हिंदुओं के बेहद पवित्र तीर्थ स्थल में से एक माना जाता है.
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दक्षिण भारत में बीजेपी की स्थिति कमजोर
लगातार दो बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने के बाद भी दक्षिण भारत में बीजेपी की स्थिति अब तक मजबूत नहीं हो पाई है. कर्नाटक में पार्टी को हार मिली है जबकि तेलंगाना में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी कर बीजेपी के दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनने के सपनों को चूर-चूर कर दिया है. तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में अभी भी भगवा पार्टी की स्थिति कमजोर है. सफलता की उम्मीद कम होने के बाद भी बीजेपी इन चुनावों में दक्षिण के मतदाताओं को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है.
दक्षिण भारत के सनातन की टिप्पणियों का भी काट
पिछले कुछ वक्त में डीएमके नेताओं ने सनातन और हिंदी पट्टी के राज्यों को लेकर विवादित टिप्पणियां की हैं. इन टिप्पणियों की काट बीजेपी सनातन के रास्ते ही ढूंढ़ रही है. काशी तमिल समागम के जरिए एक साथ ही शिव और राम दोनों के जरिए दक्षिण भारतीयों को प्रभावित करने की कोशिश है. इसके अलावा, पार्टी अपने कैडर और नेताओं को भी संदेश देना चाहती है कि चुनावी असफलताओं के बाद भी दक्षिण के राज्य प्राथमिकता से बाहर नहीं हैं.
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