'Go To India' गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कनाडा में रह रहे हिंदुओं की दी धमकी, वीडियो Viral

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 20, 2023, 06:04 PM IST

Gurpatwant Singh Pannu

Gurpatwant Singh Pannu: पिछले कुछ महीनों में तीन खूंखार खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों की हत्या के बाद गुरपतवंत सिंह पन्नून का नाम सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर अब सबसे ऊपर है.

डीएनए हिंदी: प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नून (Gurpatwant Singh Pannu)  ने कनाडा में रह रहे हिंदुओं को देश छोड़ने की धमकी दी है. पन्नून ने कहा, ‘हिंदू कनाडा छोड़ो और भारत जाओ. खालिस्तान समर्थक सिख हमेशा कनाडा के प्रति वफादार रहे हैं और हमेशा कनाडा का पक्ष लिया है.' एसएफजे का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. यह वीडियो कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के दो दिन बाद आया है. ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ बताया था. 

गुरपतवंत सिंह पन्नून ने कनाडाई सिखों से 29 अक्टूबर को वैंकूवर में जनमत संग्रह के लिए मतदान करने का भी आह्वान किया है. पन्नू ने 29 अक्टूबर को 'शहीद निज्जर किल इंडिया रेफ्रेंडम' कार्यक्रम रखा है. जिसमें सभी कनाडा वासियों को आने का आग्रह किया है. एसएफजे ने कहा कि क्या हरदीप सिंह नज्जर की हत्या के लिए इंडियन हाई कमिश्नर वर्मा जिम्मेदार हैं? इसके लिए वोट करके अपनी राय देनी होगी.

सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर पन्नून
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में तीन खूंखार खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों की हत्या के बाद गुरपतवंत सिंह पन्नून का नाम सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर अब सबसे ऊपर है. पंजाब में राजद्रोह के तीन सहित 22 आपराधिक मामलों का सामना कर रहे पन्नून को खालिस्तानी आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाह कनाडा से संचालित करने के लिए जाना जाता है. 6 मई को खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के प्रमुख खालिस्तानी नेता परमजीत सिंह पंजवार की लाहौर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 15 जून को खालिस्तान समर्थक और अलगाववादी अमृतपाल सिंह के 'गुरु' अवतार सिंह खंडा की ब्रिटेन के एक अस्पताल में कैंसर से मौत हो गई. तीन दिन बाद 18 जून को कनाडाई नागरिक और प्रतिबंधित संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स (केअीएफ) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी थी.

चाहे वह पिछले साल मोहाली में पंजाब पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर ग्रेनेड से हमला हो, एक ऑडियो संदेश में श्रीनगर में रहने वाले कश्मीरी मुसलमानों को दिल्ली जाने और जी 20 शिखर सम्मेलन को बाधित करने के लिए कहा गया हो, या कई मुख्यमंत्रियों और अन्य लोगों को टेलीफोन के माध्यम से हत्या की धमकी दी गई हो, ये सभी ऑडियो संदेश पन्नून द्वारा स्थापित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़े हुए हैं. पन्नुन ने पिछले हफ्ते शहीद निज्जर की हत्या पर भारत जनमत संग्रह कराने की घोषणा की थी. उसका सवाल है, क्या भारतीय उच्चायुक्त वर्मा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं?

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क्या पैटर्न के तहत हो रही खालिस्तानियों की हत्या?
उन्होंने 29 अक्टूबर को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में खालिस्तान जनमत संग्रह-द्वितीय आयोजित करने की भी घोषणा की. खालिस्तान समर्थक नेता निज्जर, जिसे भारत सरकार ने 'वांछित आतंकवादी' घोषित किया था की दो अज्ञात बंदूकधारियों ने पंजाबी बहुल सरे शहर में 18 जून को गुरु नानक सिख गुरुद्वारा के परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी थी. निज्जर की हत्या के बाद से कई कट्टरपंथी कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं क्योंकि एक महीने के भीतर सिख अलगाववादियों की तीन हत्याएं हुईं. उनका कहना  कि क्या तीन खालिस्तानी आतंकियों की अचानक हत्या में कोई पैटर्न है?

भारत के राजनयिक को निकाला
कनाडा ने सोमवार को एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए अपनी धरती पर निज्जर की हत्या की जांच के बीच एक शीर्ष भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार के एजेंटों और खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के बीच 'संभावित संबंध के विश्वसनीय आरोप' का दावा किया. अब सवाल पन्नून द्वारा विदेशी धरती पर भारत सरकार के खिलाफ माहौल भड़काने में निभाई जा रही भूमिका पर है.

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कौन है गुरपतवंत सिंह पन्नून?
पंजाब और हिमाचल प्रदेश की पुलिस ने धमकी देने और शांति, स्थिरता और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के प्रयास को लेकर चंडीगढ़ में पंजाब विश्‍वविद्यालय से कानून स्नातक पन्नून के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की हैं. अलगाववाद के आधार पर 2019 से भारत में एसएफजे एक प्रतिबंधित संगठन होने और पन्नून को आतंकवादी घोषित किए जाने के बावजूद, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों ने, जहां बड़ी संख्या में सिख प्रवासी हैं, संगठन को भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन करने की अनुमति दी है, जिसमें पंजाब को अलग करने के लिए अवैध जनमत संग्रह चलाना भी शामिल है. 

भारतीय प्रवासी सदस्य स्वीकार करते हैं कि पन्नून जैसे लोग अल्पसंख्यकों, विशेषकर सिखों के खिलाफ अत्याचार के लिए भारतीय अधिकारियों को गाली देकर और उन पर आरोप लगाकर जनमत संग्रह के नाम पर दान जुटा रहे हैं. एक सिख विद्वान ने टिप्पणी की कि विदेशी तटों पर जन्मे और पले-बढ़े एक विशेष समुदाय की दूसरी या तीसरी पीढ़ी के अधिकांश लोग, जिन्होंने पंजाब में (1981-1992 तक) उग्रवाद का असली चेहरा कभी नहीं देखा है, भारत के खिलाफ हौव्वा खड़ा कर रहे हैं. उन्होंने आईएएनएस से कहा कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने कभी उग्रवाद के काले दिन नहीं देखे. (आईएएनएस इनपुट के साथ)

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