कोलकाता रेप और मर्डर केस (Kolkata Rape And Murder Case) मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को फटकार लगाई है. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के रवैये पर गंभीर सवाल उठाए हैं. चीफ जस्टिस के साथ बेंच में जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. बेंच ने केस दर्ज करने में देरी और पुलिस की शुरुआती जांच की प्रक्रिया को भी सर्वोच्च न्यायालय ने त्रुटिपूर्ण बताया है. सुनवाई के दौरान तीन जजों की बेंच ने राज्य सरकार से कई मुद्दों पर जवाब मांगा है. 5 प्वाइंट में जानें कोर्ट में क्या कुछ हुआ.
1) सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार-हत्या मामले (Kolkata Rape And Murder Case) में एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी पर फटकार लगाते हुए कहा कि इस मामले में अस्पताल प्रशासन क्या कर रहा था? कोर्ट ने कोलकाता पुलिस के काम करने के तरीके पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आखिर हजारों लोगों की भीड़ अस्पताल परिसर में कैसे घुस गई?
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2) सीजेआई ने इसे जघन्य घटना करार देते हुए कहा कि सवाल सभी डॉक्टरों की सुरक्षा का है. अगर हम महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षा नहीं दे पा रहे हैं, तो यह सबकी असफलता है. हम उन्हें समानता और स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित कर रहे हैं.
3) आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की भूमिका पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि आखिर किस आधार पर हत्या को प्रिंसिपल ने आत्महत्या करार दिया है. जब प्रिंसिपल की भूमिका संदेह के दायरे में है, तो कैसे उन्हें किसी दूसरे बड़े मेडिकल कॉलेज की जिम्मेदारी दे दी गई है.
4) सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से भी अपील की है कि वह बिना देरी काम पर लौट जाएं. डॉक्टरों की हड़ताल एक हफ्ते से ज्यादा समय से चल रही है. कोर्ट ने कहा कि हम उनकी चिंताओं को समझते हैं और हमारे लिए उनकी सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है.
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5) सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों पर राज्य सरकार के बल प्रयोग की आलोचना करते हुए कहा कि यह सरासर निंदनीय है. प्रदर्शन करने वालों में युवा डॉक्टर हैं और इनमें से कई तो 36 घंटे की शिफ्ट लगातार करते हैं.