कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह विवाद: इलाहाबाद HC ने आदेश वापस लेने की अर्जी पर फैसला रखा सुरक्षित

Written By रईश खान | Updated: Oct 16, 2024, 11:51 PM IST

Mathura Dispute

Krishna Janmabhoomi-Shahi Idgah Dispute: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ये मुकदमे समय सीमा, वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से बाधित नहीं हैं.

मथुरा कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में 11 जनवरी 2024 के आदेश को वापस लेने की अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई. कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत ने 11 जनवरी 2024 को एक निर्णय में हिंदू पक्षों द्वारा दायर सभी मुकदमों को एक साथ जोड़ दिया था. इस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई कि सभी मामले एक साथ जोड़ दिए जाएंगे तो वो विरोध करने के अधिकार से वंचित हो जाएंगे.

मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तस्लीमा अजीज अहमदी ने दलील दी कि यह समयपूर्व अवस्था है. मुद्दे तय किए जाने और साक्ष्य एकत्र किए जाने से पूर्व मुकदमों को समेकित नहीं किया जाना चाहिए.

हिंदू पक्ष ने किया विरोध
इसका हिंदू पक्ष ने विरोध किया और कहा कि एक बार अदालत ने विचार कर लिया कि राहत समान है, संपत्ति समान है और प्रतिवादी समान हैं तो इन मुकदमों को समेकित करना अदालत के अधिकार क्षेत्र में है और किसी भी पक्ष को इसे चुनौती देने का अधिकार नहीं है. हिंदू पक्ष ने कहा गया कि इस तरह की आपत्तियों का उद्देश्य सुनवाई को लटकाना है. अदालत ने एक अगस्त 2024 के आदेश में मुद्दे तय करने को कहा था, लेकिन आज की तिथि तक कोई भी मुद्दा तय नहीं हुआ है और अदालत केवल आवेदनों पर सुनवाई कर रही है.

हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि मुकदमों को समेकित करने का यह अर्थ नहीं है कि सभी मुकदमों को लड़ने का अधिकार थम जाएगा. उनके मुताबिक, मुकदमों को समेकित करना इस अदालत का विवेकाधिकार है और इसे किसी व्यक्ति द्वारा बदला नहीं जा सकता.

मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा?
तस्लीमा अहमदी ने कहा कि जब तक मुद्दे तय नहीं हो जाते, यह नहीं कहा जा सकता कि ये मुकदमे एक समान हैं. जस्टिस मयंक कुमार जैन इन सभी 18 मुकदमों की सुनवाई कर रहे हैं. इससे पहले एक अगस्त 2024 को जस्टिस जैन ने हिंदू पक्षों द्वारा दायर इन मुकदमों की पोषणीयता (सुनवाई योग्य) को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी. 

अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि ये मुकदमे समय सीमा, वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से बाधित नहीं हैं. पूजा स्थल अधिनियम किसी भी धार्मिक ढांचे को जो 15 अगस्त 1947 को मौजूद था, उसे परिवर्तित करने से रोकता है. हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाने के बाद जमीन का कब्जा लेने और मंदिर बहाल करने के लिए 18 मुकदमे दाखिल किए हैं. (इनपुट- PTI)

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