IT नियमों में बदलाव के खिलाफ कुणाल कामरा की याचिका, बॉम्बे हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 11, 2023, 02:20 PM IST

New IT Rules 2023

IT Rules 2023: भारत सरकार ने आईटी नियमों में जो बदलाव किए हैं, कॉमेडियन कुणाल कामरा ने उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी है.

डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम, 2023 को 6 अप्रैल को अधिसूचित कर दिया है. नए नियमों के तहत किसी भी खबर या सोशल मीडिया पोस्ट की सच्चाई जांचने के लिए एक अलग संस्था बनाई जाएगी. सरकार इस संस्था से अनुरोध करके 'फेक न्यूज' को हटवा सकेगी. मशहूर कॉमेडियन कुणाल कामरा ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करके इन नियमों में बदलाव को चुनौती दी है. कुणाल कामरा की याचिका के बाद हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस मामले में अपना जवाब कोर्ट को दे.

न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की बेंच ने कहा कि सरकार अपने हलफनामे में यह बताए कि यह संशोधन क्यों जरूरी है. अदालत ने केंद्र को 19 अप्रैल तक अपना हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और कहा है, 'क्या कोई तथ्यात्मक पृष्ठभूमि या कारण था जिसके कारण यह संशोधन करना आवश्यक था? याचिकाकर्ता कुणाल कामरा का अनुमान है कि किसी प्रभाव के चलते यह संशोधन किया गया.' इस मामले में अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी.

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कुणाल कामरा का तर्क- सरकार मनमाने ढंग से करेगी काम
इस याचिका में कुणाल कामरा ने खुद को एक राजनीतिक व्यंग्यकार बताया है जो अपना कॉन्टेंट शेयर करने के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर है. उनके मुताबिक, संभावना है कि संशोधित नियम उनके कॉन्टेंट पर मनमाने ढंग से रोक लगाएंगे या फिर उनके सोशल मीडिया अकाउंट को सस्पेंड या हमेशा के लिए बंद किया जा सकता है, जिससे उन्हें पेशेवर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है. कुणाल कामरा ने याचिका में अदालत से संशोधित नियमों को असंवैधानिक घोषित करने और सरकार को इन संशोधित नियमों के तहत किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.

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6 अप्रैल को केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमावली, 2021 में कुछ संशोधन किए थे. इन संशोधनों के तहत सरकार ने खुद से संबंधित फर्जी या गलत अथवा भ्रामक ऑनलाइन सूचनाओं की पहचान के लिए एक 'फैक्ट चेक' इकाई का प्रावधान जोड़ा था. यह इकाई तथ्यों की जांच करेगी और गलत पाए जाने पर सोशल मीडिया कंपनियों पर आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत मिली 'सुरक्षा' खोने का जोखिम होगा. इस धारा के तहत मिली सुरक्षा के अनुसार, सोशल मीडिया कंपनी अपनी वेबसाइट पर तीसरे पक्ष की ओर से पोस्ट की गई सामग्री के लिए जिम्मेदार नहीं होती. 

याचिका में दावा- ये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है
कुणाल कामरा ने एक याचिका दाखिल कर इस संशोधन को चुनौती दी है और इसे देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है. कामरा के वकील नवरोज सीरवई ने अदालत में दलील दी कि नई व्यवस्था का इस देश के नागरिकों की बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहरा असर होगा, खास कर उन पर जो लोग राजनीतिक घटनाक्रम पर, बतौर पेशा, कोई टिप्पणी या वीडियो पोस्ट करते हैं.

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सीरवई ने दावा किया, 'यह संशोधन जनता के हित में नहीं बल्कि सरकार, मंत्रियों और उन लोगों के हित में है जो सत्ता में हैं. संशोधन में सुनवाई या अपील के लिए कोई प्रावधान नहीं है. यह स्वाभाविक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है.' सीरवई ने जहां याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की वहीं केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने इस आधार पर हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा कि याचिका में नियम की वैधता को चुनौती दी गई है.

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