डीएनए हिंदी: अनिल अंबानी (Anil Ambani) को टैक्स चोरी के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने बड़ी राहत दी है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने आयकर विभाग को निर्देश दिया है कि वह 17 नवंबर तक अनिल अंबानी के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करेगा. यह आदेश रिलायंस ग्रुप (Reliance Group) के चेयरमैन अनिल को ब्लैक मनी एक्ट (Black Money Act) के तहत IT डिपार्टमेंट से 8 अगस्त को मिले कारण बताओ नोटिस पर दिया गया है. आयकर अधिकारियों का आरोप है कि अनिल अंबानी ने दो स्विस बैंक अकाउंट में मौजूद 814 करोड़ रुपये से ज्यादा की अघोषित रकम पर करीब 420 करोड़ रुपये का टैक्स चुराया है.
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जानबूझकर टैक्स चोरी का आरोप
आयकर विभाग ने 63 वर्षीय अनिल अंबानी पर जानबूझकर टैक्स चोरी करने का आरोप लगाया है. विभाग का कहना है कि अनिल ने जानबूझकर विदेशी बैंक खातों का ब्योरा और वित्तीय ब्याज की जानकारी भारतीय टैक्स अधिकारियों को नहीं दी है.
विभाग के नोटिस के मुताबिक, अंबानी पर इस टैक्स चोरी के लिए ब्लैक मनी (अज्ञात विदेशी आय व संपत्ति) कर कानून, 2015 की धारा 50 व 51 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है, जिसकी अधिकतम सजा जुर्माना व 10 साल कैद है.
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अंबानी ने हाई कोर्ट में दी थी नोटिस को चुनौती
अनिल अंबानी ने इस महीने की शुरुआत में नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. अंबानी का कहना है कि ब्लैक मनी कानून 2015 में बना था, जबकि टैक्स चोरी के तहत घोषित किए गए लेनदेन 2006-07 और 2010-2011 वित्तीय वर्ष के हैं. अंबानी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील रफीक दादा ने कोर्ट से कहा कि कानून के प्रावधानों में रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट (कानून लागू होने से पूर्व के लेनदेन को प्रभावित करने) की शक्ति नहीं है. आयकर विभाग की तरफ से पेश वकील अखिलेश्वर शर्मा ने अंबानी की याचिका का जवाब देने के लिए हाई कोर्ट से समय देने का आग्रह किया.
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जस्टिस एसवी गंगापुरवाला (Justice S V Gangapurwala) और जस्टिस आरएन लड्ढा (Justice RN Laddha) की डिविजन बेंच ने सुनवाई को 17 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया. बेंच ने आयकर विभाग को इस दलील का जवाब देने के लिए कहा है कि ब्लैक मनी कानून का रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट नहीं है. साथ ही निर्देश दिया कि अगली तारीख तक आयकर विभाग याचिकाकर्ता अनिल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा.
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सिविल सुनवाई चलने के दौरान क्रिमिनल नोटिस क्यों
अंबानी के वकील ने बेंच को बताया कि विभाग ने इस साल मार्च में असेसमेंट ऑर्डर पारित किया, जिसके खिलाफ उनके मुवक्किल ने इनकम टैक्स कमिश्नर के यहां अपील दाखिल की हुई है. इस सिविल प्रक्रिया के लंबित रहने के दौरान ही विभाग ने अब आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. सिविल सुनवाई लंबित रहने तक विभाग ऐसा नहीं कर सकता है.
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