Rajiv Gandhi assassination case: पूर्व पीएम की हत्या के दोषियों की रिहाई के खिलाफ केंद्र, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की रिव्यू पिटीशन

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 17, 2022, 10:59 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या में शामिल होने के लिए जेल में सजा काट रहे छह दोषियों को रिहा कर दिया था.

डीएनए हिंदी: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले (Rajiv Gandhi assassination case) में केंद्र सरकार ने उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल कर दी है, जिसमें शीर्ष अदालत ने हत्या को छह दोषियों को जेल से रिहा करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को इस मामले में जेल में सजा काट रही नलिनी श्रीहरन (Nalini Sriharan) समेत छह दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था. इस फैसले का कांग्रेस ने भी विरोध किया था, जबकि केंद्र सरकार पहले से ही इस रिहाई का विरोध कर रही है. इसी कारण केंद्र सरकार ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है.

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पिटीशन में ये कहा है केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिव्यू पिटीशन दाखिल की है. सरकार ने पिटीशन में कहा है कि ये मामला कोई सामान्य किस्म का नहीं था, बल्कि इसमें देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री की साजिशन हत्या की गई थी. इस कारण कोर्ट को कोई भी फैसला सुनाने से पहले केंद्र सरकार का भी पक्ष सुनना चाहिए था. केंद्र सरकार ने कहा है कि दोषियों की रिहाई के लिए जो भी याचिकाएं दाखिल की गई थीं, उनमें केंद्र को पक्ष नहीं बनाया गया था. इस कारण उसका पक्ष सुना जाए.

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1991 में की गई थी राजीव गांधी की हत्या

देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की हत्या 1991 में उस समय कर दी गई थी, जब वे देश में लोकसभा चुनावों के प्रचार में जुटे थे. राजीव 21 मई, 1991 को तमिलनाडु (Tamil Nadu) के श्रीपेरूमबुदूर (Sriperumbudur) में रैली कर रहे थे. श्रीलंका में विद्रोहियों के खिलाफ शांति सेना भेजकर वहां की सरकार की मदद करने के लिए श्रीलंकाई विद्रोही संगठन लिट्टे (LTTE) ने उनकी हत्या की साजिश बनाई थी. लिट्टे की एक महिला आत्मघाती हमलावर ने श्रीपेरूमबुदूर की रैली में राजीव के करीब जाकर बम विस्फोट करके उन्हें मार दिया था.

इस साजिश में शामिल रहने के लिए नलिनी श्रीहरन समेत 7 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी. हालांकि बाद में नलिनी की सजा को राजीव गांधी की पत्नी और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने हस्तक्षेप करते हुए कम कराकर उम्रकैद में बदलवा दिया था. सोनिया ने अपनी तरफ से नलिनी को माफ भी कर दिया था. बाद में अन्य दोषियों की फांसी की सजा भी तमिलनाडु सरकार के हस्तक्षेप पर कम कर दी गई थी.ॉ

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नलिनी ने दाखिल कर रखी थी रिहाई की अपील

नलिनी व एक अन्य दोषी ने लंबे समय से जेल में बंद होने और अपनी सजा की अवधि पूरी हो जाने का दावा करते हुए रिहाई की अपील कर रखी थी. इसी अपील पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 11 नवंबर को उन दोनों को रिहा करने का फैसला दिया था. साथ ही कहा था कि यह फैसला अन्य दोषियों पर भी लागू होगा.

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