डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार ने उन लोगों को भी आरक्षण का लाभ देने की राह तलाशना शुरू कर दिया है, जो 'ऐतिहासिक' तौर पर अनुसूचित जाति (SC) से संबंधित होने का दावा करते हैं और बाद में धर्म परिवर्तन कर लिया है. केंद्र ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन (Justice KG Balakrishnan) की अध्यक्षता वाले आयोग का गठन कर दिया. यह आयोग समय-समय पर SC कैटेगरी में नए लोगों को शामिल करने के लिए जारी प्रेसिडेंशियल ऑर्डर्स की जांच करेगा. पैनल देखेगा संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत जारी प्रेसिडेंशियल ऑर्डर्स के तहत धर्म परिवर्तन करने वालों को भी पुरानी जाति के तहत आरक्षण का लाभ मिल सकता है या नहीं.
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तीन सदस्य शामिल हैं पैनल में
केंद्रीय सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण मंत्रालय की तरफ से आयोग के गठन का गजट नोटिफिकेशन बृहस्पतिवार को जारी किया है. इस पैनल में पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन के साथ ही रिटायर्ड IAS अधिकारी डॉ. रविंद्र कुमार जैन (IAS officer Dr Ravinder Kumar Jain) और UGC मेंबर प्रोफेसर सुषमा यादव (Prof Sushma Yadav) को शामिल किया गया है.
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अनुच्छेद 341 के अलावा ये भी जांचेगा आयोग
यह तीन सदस्यीय आयोग संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत समय-समय पर जारी किए प्रेसिडेंशियल ऑर्डर्स के तहत इस मामले का परीक्षण करेगा. साथ ही पैनल इस बात की भी जांच करके सिफारिश देगा कि यदि धर्म परिवर्तन करने से पहले अनुसूचित जाति में रहे लोगों को आरक्षण दिया जाता है तो इसका मौजूदा अनुसूचित जातियों पर क्या प्रभाव होगा. इसमें इन लोगों के अन्य धर्मों में परिवर्तित होने के बाद, रीति-रिवाजों, परंपराओं और सामाजिक भेदभाव और अभाव की स्थिति में आए बदलाव को ध्यान में रखकर सिफारिश दी जाएगी.
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प्रभावित होंगे करीब 25 करोड़ SC
साल 2011 की जनगणना के हिसाब से देश में 20,13,78,372 लोग अनुसूचित जातियों के तहत गिने गए थे. इस हिसाब से आंकलन किया जाए तो इस समय देश में अनुसूचित जातियों तहत 25 करोड़ से ज्यादा लोगों की आबादी है. यह देश की 1.5 अरब आबादी का करीब 16 फीसदी हिस्सा है. देश में सबसे ज्यादा दलित समुदाय के लोग उत्तर प्रदेश में हैं, जहां अनुसूचित जाति के तहत साल 2011 की जनगणना में 4,13,57,608 लोग चिह्नित किए गए थे. इसके बाद पश्चिम बंगाल में 2,14,63,270, बिहार में 1,65,67,325, तमिलनाडु में 1,44,38,445, आंध्र प्रदेश में 1,38,78,078, महाराष्ट्र में 1,32,75,898 और राजस्थान में 1,22,21,593 लोग अनुसूचित जाति के तहत दर्ज किए गए थे.
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